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किरतपुर-मनाली फोरलेन किनारे अवैध निर्माण पर कार्रवाई करें डीसी

                                          अपनी अनुपालना रिपोर्ट अगली तारीख से पहले दाखिल करें

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

किरतपुर-मनाली फोरलेन पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए बिलासपुर, मंडी और कुल्लू जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे अवैध निर्माणों पर त्वरित कार्रवाई करें। साथ ही अपनी अनुपालना रिपोर्ट अगली तारीख से पहले दाखिल करें।

मुख्य न्यायाधीश जीएस संधवालिया व न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने मदन लाल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए इस हाईवे पर यदि समय रहते अतिक्रमण नहीं रोके गए तो इसकी उपयोगिता खत्म हो जाएगी। बिलासपुर के उपायुक्त राहुल कुमार ने सोमवार को कोर्ट में 1 जुलाई 2025 के आदेश की अनुपालना में हलफनामा दाखिल किया और बिना शर्त माफी मांगी।उन्होंने जानकारी दी कि बिलासपुर जिले के चार उपमंडलों में अब तक कुल 49 अतिक्रमण हटाए गए हैं। इनमें सदर से 4, घुमारवीं से 14, झंडूता से 29 और नयनादेवी से 2 शामिल हैं। कोर्ट को सूचित किया गया कि एनएच-154 का हिस्सा मंडी और कुल्लू जिलों में भी आता है। 

इस पर कोर्ट ने दोनों जिलों के उपायुक्तों को भी इस मामले में पक्षकार बनाने का आदेश दिया और निर्देश दिए कि वे अपने क्षेत्र की एसडीएम रिपोर्ट लें। अतिक्रमण पर त्वरित कार्रवाई करें। एनएचएआई की ओर से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कई क्षेत्रों में स्थानीय जनता के हस्तक्षेप के कारण निर्माण कार्य बाधित हुआ है।कोर्ट ने एनएचएआई को आदेश दिया कि वह हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट करे कि अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी किसकी है, निर्माण की अधिकतम सीमा क्या है, कितनी दूरी पर निर्माण की अनुमति दी जा सकती है, और इसके लिए लाइसेंस प्रक्रिया क्या है। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि नए हाईवे पर व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति देकर इसकी गति और उद्देश्य को प्रभावित नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार और संबंधित एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी गतिविधियों को रोका जाए। मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर तय की है।

 

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