इसके लिए पांच नए केंद्र स्थापित होंगे
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. महावीर सिंह ने कहा है कि विवि में जनोपयोगी शोध को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए पांच नए केंद्र स्थापित होंगे। हर शिक्षक को रिसर्च में अनिवार्य रूप से कार्य करना होगा, अन्यथा उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी। कुलपति प्रो. महावीर सिंह ने विशेष बातचीत में आगामी तीन साल के विवि के विकास के विजन को साझा करते हुए कहा कि प्रयास रहेगा कि विश्वविद्यालय को उसका पुराना गौरव लौटा सकूं।
विवि का शोध, अनुसंधान उपलब्धियों, छात्र सुविधाओं को लेकर देश-विदेश में नाम हो। फिजिक्स के शोध में हेल्थ, ग्रीन एनर्जी को भी जोड़ा जाए।विश्वविद्यालय में अंतः विषयक शोध हो, जिसमें हर विभाग अपना योगदान दे। जन उपयोगी शोध-अनुसंधान करने की दिशा में कार्य होगा, जिससे विश्वविद्यालय के रिसर्च यूनिवर्सिटी के रूप में अलग पहचान बने। पांच शोध अनुसंधान केंद्र स्थापित करने को शैक्षणिक परिषद और सर्वोच्च निर्णायक संस्था कार्यकारिणी परिषद से मंजूरी दिलवा दी गई है। केंद्र जल्द कार्य करना शुरू कर देंगे। इन केंद्रों के बन जाने से यूजीसी और सरकार की एजेंसियों से शोध के लिए फंडिंग लेना भी आसान होगा। सभी शिक्षकों के अलग-अलग समूह में बैठकें कर नामी शोध अनुसंधान केंद्रों से एमओयू साइन करने, मिलकर शोध अनुसंधान करने के लिए निर्देश दिए हैं।
शोध अनुसंधान केंद्रों में रोजगार के लिहाज से उपयोगी कोर्स भी शुरू होंगे।विवि में खुलने वाले शोध अनुसंधान केंद्रों में ग्रीन एनर्जी, नैनो टेक्नोलॉजी केंद्र, साइबर फिजिकल सिस्टम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा साइंस केंद्र, आपदा प्रबंधन केंद्र, पहाड़ी संस्कृति और धरोहर केंद्र को बढ़ावा देने, उसे संजोने के लिए अलग केंद्र शामिल हैं। इन सभी केंद्रों को संचालित करने वाला रामानुजम शोध अनुसंधान केंद्र भी स्थापित किया जा रहा है। केंद्र सिर्फ विवि के बंद कमरों में बैठ शोध नहीं करेंगे, फील्ड में जा कर तथ्यों, डाटा को जुटाएंगे। ग्रीन एनर्जी यानि सोलर एनर्जी को गांव तक लेकर जाने, हाइड्रोजन से वाहन चालने की टैक्नोलॉजी को एनर्जी में बदलकर ईंधन के रूप में वाहनों में उपयोग करने की दिशा में कार्य होगा। केंद्र सरकार के साथ मिलकर इस दिशा में कार्य करेंगे। आपदा प्रबंधन केंद्र में प्रदेश को आपदाओं से बचाने के लिए कार्य होगा। कुलपति ने कहा कि इन केंद्रों को डीआरडीओ, एआईसीटी, आईसीआर और केंद्र, मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सोशल साइंस के प्रोजेक्ट फंड लाने के लिए प्रयास होंगे।
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