हिमाचल में अंगदान से बदली 373 जिंदगियां
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
प्रदेश में अंगदान से 350 लोगों को आंखों की रोशनी मिली है। ये लोग अब दूसरों की आंखों से दुनिया को देख रहे हैं। इसी तरह 23 लोग ऐसे हैं जिनके लीवर का दर्द खत्म हुआ है। दूसरों से दान में मिले लीवर से उनका जीवन बेहतर हुआ है।
अंगदान के लिए अब हर वर्ग के लोग आगे आने लगे हैं। इससे उन लोगों को नई सांसें मिली हैं जो किसी न बीमारी से पीड़ित हैं।राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (सोटो) आईजीएमसी शिमला के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2021 से अब तक 373 ट्रांसप्लांट कराए जा चुके हैं। इनमें 350 नेत्रदान और 23 लीवर ट्रांसप्लांट शामिल हैं। इसके अलावा दो ब्रेन डेड डोनर के मामले में सभी अंग दान कर कई मरीजों को नई जिंदगी मिली है। इन चार वर्षों में 4,600 लोगों ने मृत्यु के बाद अंगदान का संकल्प लिया है। फिर भी 50 मरीज आज भी अंग मिलने की प्रतीक्षा में हैं।एक देह दान से 8-9 जिंदगियां बच सकती हैं।
अंग प्रत्यारोपण के बाद मरीज को 15 दिन अस्पताल में भर्ती रखा जाता है। पहले महीने हर हफ्ते जांच होती है, फिर एक साल तक हर दो महीने पर चेकअप किया जाता है। अंग का आवंटन रक्त समूह, लोकेशन, उम्र के अंतर और पंजीकरण क्रम के आधार पर होता है। अंगदान केवल चिकित्सा नहीं, बल्कि जीवनदान का सबसे बड़ा रूप है। प्रदेश में जागरुकता तेजी से बढ़ रही है, लेकिन अब भी जरूरतमंद मरीजों की लंबी सूची इस बात की गवाही देती है कि और लोगों को आगे आना होगा। अगर आप अंगदान का संकल्प लेते हैं, तो आपका नाम सोटो में पंजीकृत होता है और मृत्यु के बाद आपके अंग जरूरतमंदों तक पहुंचाए जाते हैं।
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