यह फैसला मनोज शर्मा की ओर से दायर एक अपील को खारिज करते हुए दिया
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान नियमों में किया गया बदलाव जो किसी अस्पष्टता को स्पष्ट करता हो और सभी उम्मीदवारों पर समान रूप से लागू होता हो, उसे खेल के नियमों में बदलाव नहीं माना जा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावलिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने यह फैसला मनोज शर्मा की ओर से दायर एक अपील को खारिज करते हुए दिया।मनोज शर्मा ने शास्त्री पोस्ट कोड (813) के पद पर नियुक्ति के लिए याचिका दायर की थी। उन्होंने मांग की थी कि भारत स्काउट एंड गाइड्स प्रमाण पत्र के लिए उन्हें एक अतिरिक्त अंक दिया जाए। अगर उन्हें यह अंक दिया जाएगा तो वे चयन सूची में आ जाएंगे। उनके अनुसार भर्ती विज्ञापन में यह अंक देने का प्रावधान था। लेकिन बाद में विभाग ने नए दिशा निर्देश के तहत उन्हें यह अंक देने से इन्कार कर दिया, जिसे उन्होंने भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियमों का बदलाव बताया।एकल पीठ ने भी अपने फैसले में याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि भर्ती एजेंसी ने केवल उन प्रमाण पत्रों के लिए अंक देने का फैसला किया था, जो निर्दिष्ट श्रेणियों (राज्य पुरस्कार) में आते थे।
याचिकाकर्ता का प्रमाण पत्र एक शांति रैली में भाग लेने का था, जो निर्दिष्ट श्रेणियां में नहीं आता था। खंडपीठ ने पाया कि विभाग ने स्काउट एंड गाइड्स प्रमाण पत्रों के मूल्यांकन के लिए एक समान और स्पष्ट मानदंड निर्धारित किए थे। यह मानदंड किसी विशेष उम्मीदवार के लिए नहीं बल्कि सभी पर समान रूप से लागू किया गया था।कोर्ट ने कहा कि विभाग की ओर से किया गया यह बदलाव मनमाना या भेदभावपूर्ण नहीं था। यह तर्कसंगत था और इसका उद्देश्य केवल उन प्रमाण पत्रों को महत्व देना था जो किसी दीर्घकालीन शिविर या गतिविधि से संबंधित थे, न कि एक दिन की भागीदारी से। अदालत ने एकल न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखते हुए मनोज शर्मा की अपील को खारिज कर दिया और उनकी नियुक्ति की मांग को भी अस्वीकार कर दिया।
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