पीजी करने के लिए फील्ड का पांच साल का अनुभाव अनिवार्य
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
पीजी करने वाले डाॅक्टरों को राहत देने की तैयारी है। अभी तक पीजी करने के लिए फील्ड का पांच साल का अनुभाव अनिवार्य है। अब इसे तीन साल करने पर सरकार के स्तर पर मंथन चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा है। अब इसे कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा।
पीजी करने के लिए एमबीबीएस डॉक्चरों को अभी दुर्गम इलाकों (हार्ड एरिया) के अस्पतालों में दो साल की सेवाएं देने का अनुभव, जबकि शहरी क्षेत्र के अस्पतालों में तीन साल सेवाएं देना अनिवार्य है।अब इसे घटाकर दुर्गम क्षेत्र में एक साल, जबकि शहरी क्षेत्रों के अस्पतालों में दो साल की सेवाएं देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। किसी भी विभाग में स्पेशलिस्ट बनने के लिए डाॅक्टर पीजी करते हैं। तीन साल के फील्ड अनुभव के बाद पीजी डाॅक्टर एमडी कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश में स्पेशलिस्ट डाॅक्टरों की कमी है। ऐसे में हिमाचल के स्वास्थ्य संस्थानों में स्पेशलिस्ट डाॅक्टरों की कमी नहीं होगी।
हिमाचल के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और टांडा में एमडी की पांच से सात सीटें हैं।उल्लेखनीय है कि स्पेशलिस्ट होने के बाद डाॅक्टर हिमाचल के बजाय दूसरे राज्यों के अस्पतालों में सेवाएं देने में दिलचस्पी दिखाते हैं। इसका कारण यह भी है कि बाहरी राज्यों के अस्पतालों में स्पेशलिस्ट डाॅक्टरों को अच्छा पैकेज मिलता है, लेकिन इन डाॅक्टरों से हिमाचल से बाहर जाने के लिए शपथपत्र लिया जा रहा है, जिससे ये हिमाचल में ही सेवाएं दे सकें। उल्लेखनीय है कि डाॅक्टर एसोसिएशन पीजी की समय अवधि कम करने की मांग करते रही है। सरकार की ओर से भी डाॅक्टरों को आश्वासन दिया गया है। अब सरकार इस मांग पर विचार कर रही है।
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