गरीबों के आशियानों पर रसूखदारों का कब्जा
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में गरीब परिवारों के लिए ढली में बनाए गए आवासों के आवंटन में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। फर्जी दस्तावेज पेश कर कुछ रसूखदार परिवारों ने मुफ्त में पक्के मकान ले लिए। एक मामले का खुलासा होने के बाद नगर निगम ने आवंटित सभी आवासों की जांच का फैसला लिया है। सूत्रों के अनुसार एक मामले की जांच पूरी कर ली गई है।
नगर निगम जल्द इस आवास में रह रहे परिवार को बाहर करने जा रहा है। बाकी आवासों की जांच का जिम्मा प्रोजेक्ट निदेशक धीरज चंदेल को सौंपा गया है।केंद्र सरकार के आशियाना-दो प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम ने ढली में गरीब परिवारों के लिए पक्के आवास बनाए हैं। यहां 90 से अधिक आवास बने हैं, जिनका साल 2016 से 2020 तक आवंटन किया गया। इन आवासों के लिए गरीब परिवारों से आवेदन मांगे गए थे। ऐसे बीपीएल परिवार जिनके पास न जमीन है और न ही रहने के लिए अपना घर, उन्हें इन आवासों को आवंटित किया गया। इन परिवारों ने गरीब होने के साथ अपना घर या जमीन न होने के दस्तावेज नगर निगम में जमा करवाए हैं। हाल ही में निगम को शिकायतें मिली थीं कि कुछ परिवारों ने फर्जी दस्तावेज देकर आवास ले लिए हैं। इनमें से एक शिकायत की जांच पूरी कर ली गई है।नगर निगम के अनुसार शिकायत मिली थी कि एक महिला ने फर्जी दस्तावेज देकर आवास लिया है। जांच में पाया गया कि महिला को साल 2020 में आवास आवंटित किया गया। वहीं, महिला का पति कई साल से सरकारी नौकरी में है।
इसका आवंटन निगम जल्द रद्द करने जा रहा है। कुछ अन्य मामले भी इसी तरह के हैं, जिनमें सरकारी नौकरी होने के बावजूद आवास सुविधा लेने के आरोप हैं। कुछ आवासों को सबलेट करने, होमस्टे चलाने जैसी शिकायतें हैं। इनकी पुष्टि के लिए निगम जांच करने जा रहा है। नगर निगम के संयुक्त आयुक्त डॉ. भुवन शर्मा ने कहा कि एक मामले की जांच लगभग पूरी हो गई है। इसमें गड़बड़ी सामने आई है। बाकी शिकायतों की जांच प्रोजेक्ट निदेशक को सौंपी गई है।राजीव आवास योजना के तहत शहर के कृष्णानगर में गरीबों के लिए बनाए आवास खाली करने के आदेश जारी हो गए हैं। इन आवासों में अभी अन्य लोग रह रहे हैं। नगर निगम के अनुसार साल 2023 में कृष्णानगर में कई लोगों के मकान ढह गए थे। इन प्रभावित परिवारों को राजीव आवास योजना के तहत तैयार हुए आवासों में ठहराया गया। पहले इन्हें छह माह के लिए ठहराया था, लेकिन अब करीब दो साल हो चुके हैं। वहीं, जिन परिवारों के लिए ये आवास बनाए गए थे, वे गरीब परिवार शहर में भटक रहे हैं। निगम प्रशासन का कहना है कि आपदा प्रभावित परिवारों को ये आवास खाली करने का नोटिस दे दिया गया है।
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