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हिमाचल प्रदेश कांग्रेस को इसी सप्ताह नया प्रदेश अध्यक्ष मिल सकता है

                         संगठन के गठन को लेकर पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री को  दिल्ली बुलाया

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस को इसी सप्ताह नया प्रदेश अध्यक्ष मिल सकता है। संगठन के गठन को लेकर पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को दिल्ली बुलाया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री का शिमला से दिल्ली जाना प्रस्तावित है। अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले किसी नेता को प्रदेश कांग्रेस की कमान मिलने की संभावना अधिक बन गई है।

भोरंज से विधायक सुरेश कुमार और कसौली से विधायक विनोद सुल्तानपुरी की दावेदारी मजबूत है। विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार भी दौड़ में हैं। आयुष और युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री यादविंद्र गोमा को मंत्री पद से हटाकर संगठन में लाने की अटकलें भी तेज हैं। बहरहाल इस सप्ताह तय हो जाएगा कि किस नेता की अगुवाई में संगठन साल 2027 का चुनाव लड़ेगा।पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रदेश और जिला कार्यकारिणी का गठन पहले होगा। ब्लॉक की नियुक्तियों में अभी समय लगेगा। हाईकमान ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को लेकर नाम लगभग तय कर लिया है। अब मुख्यमंत्री सुक्खू से अंतिम दौर की चर्चा कर इसकी घोषणा करना शेष है। इसके चलते ही मंगलवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को दिल्ली बुलाया गया है।

पहले मुख्यमंत्री का सोमवार दोपहर को शिमला से रवाना होने का कार्यक्रम था, लेकिन भारी बारिश के चलते दौरा मंगलवार के लिए टल गया है।बता दें कि बीते दिनों दिल्ली में हुई बैठक के बाद शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, उद्याेग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर के नाम अध्यक्ष पद के लिए लिए जा रहे थे। इसको लेकर अनुसूचित जाति वर्ग के नेताओं में असंतोष पैदा हो गया था। प्रदेश के एससी वर्ग के कई विधायक और नेता इसको लेकर हाईकमान से भी मिले थे और उनके वर्ग को ही प्राथमिकता देने की मांग उठाई थी। इन नेताओं ने तर्क दिया था कि मुख्यमंत्री सुक्खू भी हमारे पक्ष में हैं। अनुसूचित जाति वर्ग का प्रदेश में बड़ा वोट बैंक है। ऐसे में हमारी अनदेखी नहीं होनी चाहिए।प्रदेश कांग्रेस के इतिहास में सिर्फ तीन बार ही अनुसूचित जाति वर्ग से अध्यक्ष बने हैं। इनमें कुलदीप कुमार, दिवंगत पीरू राम और केडी सुल्तानपुरी शामिल हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रदेश में अनुसूचित जाति के मतदाताओं का अधिक रुझान कांग्रेस की ओर से रहता है। कांग्रेस का इस वर्ग में परंपरागत वोट बैंक भी है। इसके चलते ही इस बार हाईकमान ने हिमाचल में अनुसूचित जाति के किसी नेता को संगठन की बागडोर सौंपने का फैसला लिया है।


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