फोरलेन रोड पर सुरक्षा की कमी, चालक परेशान
बिलासपुर,ब्यूरो रिपोर्ट
तेज रफ्तार और सुरक्षित सफर के लिए बनाए गए फोरलेन पर सफर जान को जोखिम साबित हो रहा है। यातायात शुरू होने के तीन साल बाद भी कीरतपुर से नेरचौक तक का फोरलेन सफर के लिए सुरक्षित नहीं हो पाया है। हर बरसात में कई जगह पहाड़ों से भूस्खलन से वाहनों की गति थम जाती है। पहाड़ों की अवैज्ञानिक कटिंग से लोगों के लिए यह हाईवे वाहन चालकों के लिए मुसीबत का सबब बन चुका है।
अगस्त 2023 में इस फोरलेन को ट्रायल पर खोलने के बाद इसे सुचारु किया गया। हालांकि हर बरसात में मैहला, समलेटू, थापना, दड़याना, पनोह और बलोह टोल प्लाजा के पास बड़े पैमाने पर भूस्खलन होता है। भूस्खलन के चलते मंडी भराड़ी में करीब आठ घर गिरने की जद में हैं।मैहला, थापना, समलेटू में हर बार बरसात में यातायात वनवे करना पड़ता है। यहां भूस्खलन से एक मौत भी हो चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजा मैहला के डडनाल जंगल में मूल अलाइनमेंट को बदलकर पहाड़ों की 90 डिग्री की कटिंग की गई। इससे बरसात में जानलेवा स्थितियां बनती हैं। वाहन चालक पिछले तीन साल से यहां वन-वे व्यवस्था के कारण परेशान हैं। इस हाईवे के निर्माण से निकले मलबे को कलवर्ट और पुलियों के आगे डंप कर दिया है। पुलों के दाएं-बाएं और नीचे मलबे के अंबार लगे हैं।
हाईवे के दोनों ओर जल निकासी की नालियों तक में मलबा भरा है। कई स्थानों पर तो नालियां बनाई ही नहीं गईं। मानसून का पानी उपजाऊ भूमि और घासनियों में घुस रहा है और लगातार नुकसान पहुंचा रहा है। रिटेनिंग वाल और ब्रेस्ट वाल न होने से लगातार कई जगह भूस्खलन हो रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि सरकार टैक्स और टोल फीस तो पूरी वसूलती है लेकिन हाईवे पर 60 किलोमीटर प्रति घंटे से ऊपर गाड़ी चलाना मुमकिन नहीं जबकि लोकल सड़कों पर भी यही स्पीड लिमिट है। ऐसे में हाईवे का कोई फायदा नहीं है। बताते चलें कि इस फोरलेन को 4200 करोड़ रुपये की लागत से कीरतपुर से नेरचौक तक 77 किलोमीटर में बनाया गया है।भारी ब्लास्टिंग, अवैध डंपिंग और बेइंतहा माइनिंग ने खोखले किए पहाड़ इस फोरलेन के निर्माण के लिए पहाड़ों का 90 डिग्री पर बेतरतीब कटान, भारी ब्लास्टिंग, अवैध डंपिंग, बेइंतहा माइनिंग ने पहाड़ों को खोखला किया ही, नदी-नालों के रास्ते भी बंद कर दिए हैं। इसके निर्माण में पहाड़ों से निकाली गई लाखों टन मिट्टी बिलासपुर, मंडी, कुल्लू जिले के नदी-नालों और झील के किनारे डंप कर दिया। इसीका परिणाम है कि हर बरसात में इस फोरलेन पर मनाली तक तबाही हो रही है।
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