मानवाधिकार उल्लंघन का शिकार बने तिब्बती धर्मगुरु
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र गोंजो काउंटी के बोटोएड, गर्दहाब, न्ग्यागले और शुंगकोर गांवों में स्थित चोग्याल मठों के प्रमुख लामा तुलकू पाल्देन वांग्याल की कथित तौर पर चीनी हिरासत में मृत्यु हो गई।तुलकू पाल्देन (53) कई वर्षों से जेल में कैद थे जहां उन्हें गंभीर रूप से प्रताड़ित किया गया।
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने उनकी मौत पर गहरा दुख जताते हुए इसे तिब्बती धार्मिक नेताओं पर बीजिंग के दमन और बुनियादी मानवाधिकारों के हनन का एक और स्पष्ट उदाहरण बताया है।केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) ने एक नई रिपोर्ट में अपना पूरा जीवन तिब्बती लोगों की सेवा में समर्पित कर देने वाले सम्मानित तिब्बती धार्मिक नेता की मौत की जानकारी देने के साथ यह भी बताया कि चीन की हिरासत में कैसे उनके साथ बुरी तरह दुर्व्यवहार किया गया।सीटीए के मुताबिक वांग्याल ने तिब्बती संस्कृति के संरक्षण की वकालत की, समुदाय को एकता की अहमियत समझाई और तिब्बती पहचान के प्रति निष्ठा को प्रोत्साहित किया।
तुलकू पाल्देन वांग्याल की इन्हीं गतिविधियों ने चीनी अधिकारियों की नजर में उन्हें संदिग्ध बना दिया। उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और करीब आठ साल तक कारावास में रखा गया। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने कहा कि उनकी मृत्यु तिब्बत के संकट को रेखांकित करती है, जहां धार्मिक स्वतंत्रता, आवागमन की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भारी प्रतिबंध लगे हैं।तिब्बती निर्वासित सरकार ने आगे कहा कि वांग्याल के साथ चीन का व्यवहार सांस्कृतिक संरक्षण और आध्यात्मिक नेतृत्व के दमन की एक सोची-समझी नीति को दर्शाता है। सीटीए ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तिब्बत में जारी दमन पर चीन को जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया।
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