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हाईकोर्ट का फैसला: अनुभव प्रमाणपत्र को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता

                                                       पीटीए नियुक्ति पर हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता आनंद स्वरूप को ड्राइंग मास्टर के पद पर नियुक्त किया जाए। अदालत ने माना कि चयन प्रक्रिया के दौरान याचिकाकर्ता के वैध शिक्षण अनुभव को गलत तरीके से नजरअंदाज किया गया। 

यह आदेश उन अन्य अध्यापकों के लिए भी राहत लेकर आ सकता है, जिनका पीटीए व एसएमसी आधारित अनुभव सरकारी नियुक्तियों में मान्यता नहीं पा सका। न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने याचिका को मंजूर करते हुए कहा कि चयन समिति ने गलती से उन्हें 2009 से 2012 तक सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गुम्मा में तीन वर्ष अध्यापन करने के लिए मिलने वाले 1.5 अंक नहीं दिए।अदालत ने स्पष्ट किया कि अभिभावक शिक्षक संघ  के तहत हुई नियुक्ति अनुभव प्रमाणपत्र को नजरअंदाज करने का आधार नहीं हो सकती, जब प्रमाणपत्र स्कूल प्रिंसिपल की ओर से विधिवत जारी किया गया हो। 

याचिकाकर्ता को 3.66 अंक मिले थे। एक अन्य उम्मीदवार को 3.75 अंक प्राप्त होने के आधार पर नियुक्त कर दिया गया था। पर अदालत ने कहा कि यदि शिक्षण अनुभव को जोड़ा जाता तो याचिकाकर्ता का कुल स्कोर 5.16 हो जाता। यह चयनित उम्मीदवार से अधिक था। न्यायालय ने माना कि अनुभव अंक न मिलने से याचिकाकर्ता के साथ अन्याय हुआ। अदालत ने आठ वर्षों से सेवाएं दे रही और नियमित की जा चुकी निजी प्रतिवादी की नियुक्ति को सुरक्षित रखा। न्यायमूर्ति ने कहा कि प्रतिवादी की कोई गलती नहीं थी और उन्होंने कोई गलत जानकारी नहीं दी थी। 



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