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ब्यास नदी का रुख मोड़ रहा मलबा

                                                       तटीकरण की योजना फाइलों में अटकी

मंडी,ब्यूरो रिपोर्ट 

सदानिरा ब्यास का रुख हर साल सड़क और रिहायशी इलाकों की ओर मुड़ रहा है। तटीकरण नहीं होने के कारण नदी में भरा मलबा इसका कारण बन गया है। कुल्लू से सोलंग गांव तक जगह-जगह ब्यास के जलस्तर से ऊंचे मलबे के ढेर खड़े हो गए हैं। बीच में बने यह टापूनुमा मलबे के ढेर बरसात में तबाही का कारण बन रहे हैं। इस पर केंद्र सरकार ने चिंता जाहिर की है। 

सीमा सड़क संगठन और एनएचएआई ने भी ड्रेजिंग कर ब्यास का गहरा और सुगम रास्ता बनाने की सिफारिश की है। 2023 में आई बाढ़ के बाद से इस पर कार्य चल रहा है। भुंतर से मनाली तक लगभग लगभग 35 ऐसे क्षेत्र देखे गए हैं, जहां ड्रेजिंग करना जरूरी था, लेकिन एफसीए की अनुमति और स्थानीय पंचायतों की एनओसी नहीं मिलने से यह कार्य लटक गया।इस बार भी ब्यास की ड्रेजिंग के लिए ठोस योजना बनाने की सिफारिश की गई है। वर्ष 2023 में आई बाढ़ के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ड्रेजिंग का मामला रखा था। इसके बाद हालांकि कुछ स्थानों पर राज्य सरकार ने ड्रेजिंग करवाई भी लेकिन कोई ठोस योजना नहीं बनी। कुल्लू से मनाली तक लगभग 35 स्पॉट चिन्हित कर पंचायतों से एनओसी मांगी तो पंचायतों ने एनओसी नहीं दी। सिर्फ दो पंचायतों की एनओसी मिली। भुंतर एयरपोर्ट, जिया संगम और हाथीथान में तीन स्थानों की पंचयतों से एनओसी मिलने के बाद मामला वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार को भेजा गया, लेकिन एफसीए की अनुमति नहीं मिलने से मामला लटक गया। ब्यास में जगह-जगह बाढ़ के साथ आए पत्थर, रेत के ढेर खड़े हो गए हैं। 

सड़क नीचे रह गई है तो नदी का रास्ता इससे ऊपर आ गया है। जो भविष्य में और खतरनाक साबित हो सकता है। सीमा सड़क संगठन ने मामला सरकार से उठाया है।बीआरओ 70 आरसीसी के कमांडर गौरव ने बताया कि ब्यास में ड्रेजिंग की जरूरत है। सीमा सड़क संगठन ने इस संदर्भ में राज्य सरकार को पत्र भी लिखा है। 2023 में भी पत्र लिखा गया था और इस साल की बाढ़ आने से पहले भी पत्राचार किया गया है। एनएचएआई के रेजिडेंट इंजीनियर अशोक चौहान ने कहा कि बाढ़ से नदी का दायरा बढ़ गया है। कई स्थान ऐसे है जहां सड़क के स्थान पर नदी बह रही है। नदी का रास्ता बनाने के लिए ड्रेजिंग करना बहुत जरूरी है।ब्यास नदी के तटीकरण की योजना कई वर्षों से बन रही है। पलचान से औट तक ब्यास के तटीकरण के लिए लगभग 1200 करोड़ की योजना बनी थी। इसके बाद 2023 में इसी योजना को फिर तैयार किया गया। लगभग 2000 करोड़ की डीपीआर बनाकर केंद्र को भेजी गई। योजना फाइलों में दब गई।


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