हिमाचल हाईकोर्ट की फटकार, कृषि विश्वविद्यालय वीसी नियुक्ति पर जवाबतलब
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति पर जवाब तलब किया है। अदालत ने नियुक्ति करने पर कुलाधिपति के कार्यालय से पूछा है कि क्या वरिष्ठतम प्रोफेसर के नाम पर विचार किया गया था।
कोर्ट ने प्रतिवादी राज्यपाल सचिवालय से विशेष रूप से इस पर विस्तृत जवाब तलब किया है कि क्या कुलाधिपति ने सबसे वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य याचिकाकर्ता के नाम पर विचार किया था। यदि हां तो सबसे वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य के होने के नाते क्यों उन्हें यह प्रभार नहीं दिया गया और दूसरे सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर को कार्यवाहक कुलपति क्यों नियुक्त किया गया।न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यद्यपि यह मामला इस विशिष्ट पहलू से संबंधित नहीं है, लेकिन राज्यपाल सचिवालय और राज्य सरकार के बीच निरंतर मतभेद के कारण छात्र समुदाय प्रभावित हो रहा है। आपसी मतभेद के चलते प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपति की नियुक्तियों में देरी हो रही है। एचपीयू को भी ढाई साल बाद स्थायी कुलपति मिला और नौणी व पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय का भी यही हाल है। अदालत ने निर्देश दिए हैं कि राज्यपाल अधिनियम संशोधन बिल पर जल्द निर्णय ले। कोर्ट ने सभी उत्तरदाताओं को तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।
वहीं राज्यपाल सचिवालय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि हिमाचल प्रदेश कृषि, बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय अधिनियम, 1986 की धारा 24(5) के तहत कुलाधिपति को यह अधिकार है कि वह कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति विश्वविद्यालय के वरिष्ठ फैकल्टी सदस्यों में से कर सकते हैं। अधिनियम कुलाधिपति को वरिष्ठ फैकल्टी सदस्यों में से किसी को भी नियुक्त करने की छूट देता है और प्रतिवादी कुलपति वरिष्ठता सूची में दूसरे नंबर पर हैं, इसलिए कुलाधिपति ने कोई अवैधता नहीं की है।हालांकि, याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि वरिष्ठ फैकल्टी सदस्यों में से सबसे वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कुलाधिपति सबसे वरिष्ठ व्यक्ति को नियुक्त नहीं करते हैं, तो उन्हें रिकॉर्ड पर इसके कारण बताने होंगे। खासकर तब, जब वरिष्ठतम व्यक्ति के खिलाफ कोई बदनामी या भ्रष्टाचार के आरोप न हों। कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति के मुद्दे पर कोर्ट ने प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील के इस तर्क से सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि कुलाधिपति को कार्यवाहक कुलपति के रूप में किसी भी वरिष्ठ फैकल्टी सदस्य को नियुक्त करने का अधिकार हो सकता है। लेकिन ऐसा करते समय उन्हें उस व्यक्ति से वरिष्ठ उम्मीदवारों की उम्मीदवारी पर निश्चित रूप से विचार करना चाहिए।
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