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मोटर दुर्घटना में चालक की मृत्यु पर बीमा कंपनी की देनदारी पर सीमाएं

                           अदालत ने कहा कि दावा चालक की मृत्यु पर बीमा कंपनी की देनदारी सीमित

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 163 ए के तहत वाहन के मालिक या मालिक की जगह लेने वाला व उधार लेने वाला चालक खुद के वाहन के बीमा से पूर्ण मुआवजा पाने का हकदार नहीं है, लेकिन वह पॉलिसी के तहत पर्सनल एक्सीडेंट कवर की राशि प्राप्त कर सकते हैं।

 अदालत ने कहा कि दावा चालक की मृत्यु पर बीमा कंपनी की देनदारी सीमित है।न्यायाधीश सत्येन वैद्य की एकल पीठ ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी बनाम मीना देवी व अन्य के मामले में यह फैसला दिया है। कोर्ट ने माना कि मृतक राम कुमार मालिक की सहमति से मोटरसाइकिल चला रहा था। इसलिए वह मालिक के स्थान पर माना जाएगा। कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने ही वाहन के बीमा से क्लेम करने वाला और मुआवजा प्राप्त करने वाला दोनों नहीं हो सकता। हाईकोर्ट ने मृतक के वारिसों की ओर से धारा 163 ए के तहत किए गए पूर्ण मुआवजे के दावे को अमान्य करार दिया है। हालांकि, कोर्ट ने बीमा पॉलिसी के नियमों की जांच की। पाया गया कि बीमा कंपनी ने मालिक के लिए 50 रुपये का अतिरिक्त प्रीमियम लेकर एक लाख तक का व्यक्तिगत दुर्घटना जोखिम कवर किया था।कोर्ट ने फैसला सुनाया कि चूंकि बीमा कंपनी ने इस जोखिम के लिए प्रीमियम लिया था, इसलिए वह अपनी कांट्रैक्ट जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती। 

चालक मालिक के स्थान पर होने के कारण पर्सनल एक्सीडेंट कवर के तहत निर्धारित राशि का हकदार है। कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के 4,05,500 के फैसले को संशोधित करते हुए बीमा कंपनी की देनदारी को केवल 1 लाख तक सीमित कर दिया। अदालत ने यह राशि क्लेमकर्ताओं को 7.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ याचिका दायर करने की तिथि से वास्तविक भुगतान तक देने को कहा है। 26 नवंबर 2015 को रात 11:15 बजे राम कुमार एक मोटरसाइकिल चला रहा था। ब्रेक फेल होने के कारण दुर्घटना में उसकी मौत हो गई।हैरानी की बात थी कि मोटरसाइकिल का मालिक पीछे की सीट पर बैठा था। मृतक की पत्नी और बच्चों ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 163 ए बिना गलती साबित किए मुआवजे का दावा के तहत ट्रिब्यूनल में मुआवजे की मांग की। ट्रिब्यूनल ने याचिका स्वीकार करते हुए 4,05,500/- का मुआवजा 7.5% ब्याज के साथ देने का आदेश दिया और बीमा कंपनी को इसे चुकाने का निर्देश दिया। बीमा कंपनी ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की। तर्क दिया गया कि मृतक राम कुमार वाहन का चालक था और वह थर्ड पार्टी नहीं था। चूंकि वह वाहन के मालिक की सहमति से गाड़ी चला रहा था। इसलिए वह मालिक के स्थान पर था और अपने ही वाहन के बीमा से मुआवजे का दावा नहीं कर सकता।


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