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पेंशनरों के 18 संगठन सरकार के खिलाफ उठा रहे आवाज, मंडी में बनेगी रणनीति

                                     पेंशनरों की समस्याओं का हल निकालने के लिए करेंगे संघर्ष

शिमला, ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश पेंशनर्स संयुक्त संघर्ष समिति ने राज्य सरकार पर पेंशनरों की मांगों की अनदेखी का आरोप लगाया है। समिति के अध्यक्ष सुरेश ठाकुर, महासचिव इंद्रपाल शर्मा, अतिरिक्त महासचिव भूपराम वर्मा और मीडिया प्रभारी सैन राम नेगी ने कहा कि सरकार पेंशनरों की देनदारियों को जानबूझकर टाल रही है और वित्तीय संकट का बहाना बनाकर उन्हें हक से वंचित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि छठे वेतन आयोग के तहत एक जनवरी 2016 से बकाया राशि अब तक जारी नहीं की गई है, इससे हजारों पेंशनर प्रभावित हैं।संघर्ष समिति ने 17 अक्तूबर को प्रदेशभर के जिला मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को 14 सूत्रीय मांग पत्र जिलाधीशों के माध्यम से सौंपा था। इनमें सभी विभागों के पेंशनरों से जुड़ी प्रमुख मांगें शामिल रहीं। अब तक सरकार की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। न तो कोई मांग स्वीकार की गई है और न ही वार्ता के लिए निमंत्रण भेजा गया है। सरकार के इस रवैये को देखते हुए समिति ने 7 नवंबर मंडी में आपातकालीन बैठक बुलाने का फैसला किया है।यह बैठक समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश ठाकुर की अध्यक्षता में सुबह 10:30 बजे विश्वकर्मा सभा हाल, पुराने सुकेती पुल के पास होगी। इसमें 18 संगठनों के करीब 200 पदाधिकारी भाग लेंगे। 

बैठक में 17 अक्तूबर को हुए प्रदर्शनों की समीक्षा की जाएगी और आंदोलन के दूसरे चरण की रणनीति तय की जाएगी। समिति ने स्पष्ट किया कि प्रदेश स्तरीय आंदोलन इसी महीने शुरू किया जाएगा। “अभी नहीं तो कभी नहीं” के नारे के साथ शुरू होने वाले इस आंदोलन की तारीख और रूपरेखा बैठक के बाद प्रेस वार्ता में घोषित की जाएगी। समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि वह पेंशनरों की एकता को कम न आंके और जल्द वार्ता कर समस्याओं का समाधान निकाले।


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