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भारतीय सेना सीमावर्ती इलाकों में लगाएगी विंड टरबाइन प्रोजेक्ट

                                                      ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

शिमला ,ब्यूरो रिपोर्ट 

भारतीय सेना सीमावर्ती क्षेत्रों में बीस स्थानों पर विंड टरबाइन परियोजनाएं स्थापित करने पर विचार कर रही है, इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। परियोजनाओं से साल में 68,000 से 80,000 किलोवाट प्रति घंटा ऊर्जा पैदा होगी और 120 से 160 घर रोशन होंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित बैठक में सेना की केंद्रीय कमान के वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी साझा की।

मुख्यमंत्री ने परियोजनाओं के क्रियान्वयन में राज्य सरकार की ओर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार और भारतीय सेना की ओर से संयुक्त रूप से शुरू की गई सीमा पर्यटन पहल बेहतर साबित हो रही है और सीमावर्ती क्षेत्रों में सैलानी बढ़ रहे हैं। वर्ष 2024 में सैलानियों की संख्या लगभग 21,000 थी, जो 2025 में 70,000 से अधिक हो गई। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सीमावर्ती क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों के लिए अच्छी सुविधाएं सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शिपकीला से होकर व्यापार गतिविधियां फिर शुरू करने के संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा है, जिसके सकारात्मक संकेत मिले हैं।

 राज्य सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण भारत और चीन दो दर्रों शिपकीला और नाथू ला के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से खोलने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने किन्नौर जिले के रंगरीक में प्रस्तावित हेलीपैड की प्रगति की भी समीक्षा की और सेना अधिकारियों से परियोजना पर काम में तेजी लाने का आग्रह किया।हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला भारत-तिब्बत संबंधों पर सेना के सहयोग से शोध करेगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की उपस्थिति में मंगलवार को एचपीयू और सेना के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान एवं विकास पहलों को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता हुआ। सेना की ओर से ब्रिगेडियर अनुराग पांडे और विवि से कुलपति प्रोफेसर महावीर सिंह ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समझौता सेना और एचपीयू के बीच एक साझेदारी की शुरुआत का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य विविध क्षेत्रों में सहयोगात्मक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना है। इसके मुख्य क्षेत्रों में भारत-तिब्बत संबंधों पर शोध के साथ ही निवेश, सतत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों पर आर्थिक, विकासात्मक अध्ययन, ड्रोन प्रौद्योगिकी और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार प्रथाओं को बढ़ावा देने की पहल शामिल है।

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