हाईकोर्ट का बड़ा फैसला कर्मचारियों को मिली राहत
शिमला , हिमाचल
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने राज्य सरकार के 12 मई 2017 के आदेश को रद्द करते हुए चार सप्ताह के भीतर सूरजमणि मामले में निहित आदेश के तहत याचिकाकर्ताओं के मामले पर नए सिरे से विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। विभाग ने याचिकाकर्ताओं को वर्कचार्ज दर्जा देने से यह कहकर मना कर दिया था कि विभाग में वर्कचार्ज समाप्त हो चुका है। याचिकाकर्ता मूल रूप से दिसंबर 1996 में आईपीएच विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में नियुक्त हुए थे और उनकी सेवाएं 2007 में नियमित हुईं।
दैनिक वेतन भोगी बेलदारों को आठ साल की सेवा (प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में 240 दिन के साथ) पूरी करने के बाद वर्कचार्ज दर्जा प्रदान करना था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में डिवीजन बेंच के पूर्व के फैसलों (अश्वनी कुमार और सूरजमणि मामले) का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, दैनिक वेतन भोगी जिन्होंने प्रत्येक कलेंडर वर्ष में 240 दिनों के साथ आठ वर्ष की दैनिक वेतन भोगी सेवा पूरी कर ली है, उन्हें वर्कचार्ज का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन यह दर्जा केवल सांकेतिक आधार (नोशनल) पर होगा। इसका अर्थ है कि वर्कचार्ज अवधि के लिए कोई मौद्रिक लाभ नहीं दिया जाएगा, लेकिन इस अवधि को वेतन निर्धारण (पे फिक्सेशन) और सेवा में निरंतरता के उद्देश्य से ध्यान में रखा जाएगा।हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कुल्लू के निरमंड में सरकारी कॉलेज भवन के निर्माण कार्य में हो रही देरी पर संज्ञान लिया है।
भवन निर्माण कार्य में हो रही देरी पर अदालत ने राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने यह जनहित याचिका कुल्लू की ग्राम पंचायत भालसी के प्रधान से प्राप्त एक पत्र के आधार पर दर्ज की है। अदालत को बताया गया है कि कॉलेज भवन के निर्माण के लिए 35 बीघा भूमि आवंटित की गई है। यह भूमि शिक्षा विभाग के नाम पर दर्ज है। बावजूद निर्माण कार्य में अत्यधिक देरी हो रही है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए संबंधित प्रतिवादियों को अगली तारीख तक आवश्यक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को होगी।
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