Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

अनुबंध सेवाएं भी मान्य: स्टडी लीव में गिने जाएंगे नियमितीकरण से पहले के वर्ष

                                     हिमाचल हाईकोर्ट ने दिया बड़ा आदेश, कर्मचारियों को मिली राहत

शिमला, ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नियमित स्टाफ नर्सों को उनकी पिछली अनुबंध सेवा अवधि को भी एमएससी नर्सिंग कोर्स के लिए आवश्यक न्यूनतम पांच साल की सेवा में गिनने का आदेश दिया है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रोमेश वर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता क्योंकि नियमित कर्मचारी हैं, स्टडी लीव के साथ-साथ कोर्स की अवधि के लिए वेतन और भत्ते पाने की भी हकदार हैं।खंडपीठ ने अधिकारियों को आदेश दिए कि वे याचिकाकर्ताओं को एमएससी नर्सिंग कोर्स (2025-2027) को पूरा करने के लिए सभी लाभ के साथ आवश्यक एनओसी और स्टडी लीव पांच दिनों के भीतर प्रदान करें।

अटल मेडिकल एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी को भी निर्देश दिया कि एनओसी जारी न होने की स्थिति में भी फैसले की प्रति के आधार पर पांच दिन के भीतर याचिकाकर्ताओं के प्रवेश की औपचारिकताएं पूरी करें।अदालत को बताया गया कि इन-सर्विस कोटे की तीन सीटें अभी भी खाली हैं, जिन पर याचिकाकर्ताओं को समायोजित किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला याचिकाकर्ता शैलजा शर्मा और दीपिका के मामले में दिया है। याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति 2016 में अनुबंध पर हुई थी। उनकी सेवाओं को 29 जून 2020 को नियमित कर दिया था। उन्होंने अटल मेडिकल एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित एमएससी नर्सिंग प्रवेश परीक्षा 2025 में इन-सर्विस कोटे के तहत आवेदन किया और मेरिट में स्थान पाया।

सरकार ने सेंट्रल सिविल सर्विसेज (लीव) रूल्स, 1972 के नियम 50(5)(आई) का हवाला देते हुए उन्हें आवश्यक पांच साल की नियमित सेवा पूरी न करने के आधार पर अनापत्ति प्रमाण पत्र और स्टडी लीव देने से इन्कार कर दिया। न्यायालय ने यूनिवर्सिटी के प्रॉस्पेक्टस के खंड 2.2.1 और 11.1 की व्याख्या करते हुए पाया कि इसमें न्यूनतम पांच साल की सेवा की शर्त है न कि न्यूनतम पांच साल की नियमित सेवा की। चूंकि याचिकाकर्ता आवेदन की अंतिम तिथि पर नियमित कर्मचारी थे और उन्होंने कुल पांच साल की सेवा पूरी कर ली थी, वे इन-सर्विस कोटे के तहत प्रवेश के पात्र हैं। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि नियमितीकरण के बाद पिछली अनुबंध सेवा को सभी लाभों के लिए गिना जाना चाहिए।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अस्पताल के बाहर किए गए स्वच्छता कार्य अनुभव को मान्यता न देने के मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता की ओर से 1 नवंबर 2025 को दिए गए अभ्यावेदन पर चार सप्ताह की अवधि के भीतर निर्णय ले।अदालत ने याचिकाकर्ता की उस मांग पर राज्य सरकार को विचार करने का निर्देश दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता ने निविदा आमंत्रण सूचना (एनआईटी) में शामिल खंड एफ उप-खंड (ग) को रद्द करने की मांग की थी। यह खंड अस्पतालों के बाहर किए गए स्वच्छता कार्यों के अनुभव को मान्यता देने से रोकता है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस प्रतिबंध और गुणवत्तापूर्ण स्वच्छता सेवाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य के बीच कोई तार्किक संबंध नहीं है। यह शर्त केवल मौजूदा अस्पताल ठेकेदारों तक ही पात्रता को सीमित करती है।

मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने पाया कि इस संबंध में याचिकाकर्ता की ओर से प्रधान सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को पहले ही एक अभ्यावेदन दिया जा चुका है, जिस पर निर्णय लिया जाना बाकी है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि अभ्यावेदन को अस्वीकार किया जाता है, तो अस्वीकृति आदेश में मान्य और तार्किक कारण होने चाहिए। न्यायालय ने इस निर्देश के साथ याचिका का निपटारा कर दिया गया है। यह याचिका तानिया इंटरनेशनल कंपनी की ओर से दायर की गई थी।

Post a Comment

0 Comments

अनुबंध सेवाएं भी मान्य: स्टडी लीव में गिने जाएंगे नियमितीकरण से पहले के वर्ष