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दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे बड़े प्राकृतिक आइस स्केटिंग रिंक में बर्फ जमी, इंतजार खत्म

                                        सफल ट्रायल के बाद स्केटिंग प्रेमियों में उत्साह, जल्द खुलेगा रिंक

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के लक्कड़ बाजार स्थित दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे बड़े प्राकृतिक आइस स्केटिंग रिंक में बर्फ की पहली परत जम गई है। बुधवार से इस सीजन का पहला ट्रायल किया गया। इस दौरान क्लब के सदस्यों ने रिंक में स्केटिंग की और मैदान की स्थिति को जांचा। ऐसे में स्केटिंग प्रेमियों का इंतजार खत्म हो गया है। शिमला आइस स्केटिंग क्लब के महासचिव रजत मल्होत्रा ने बताया कि बुधवार को सुबह आइस स्केटिंग का पहला ट्रायल आयोजित किया गया और यह सफल रहा। गुरुवार से नियमित रूप से स्केटिंग के सत्र शुरू कर दिए जाएंगे। ठंडी सुबह के बावजूद रिंक पर स्केटिंग का रोमांच देखने लायक होता है। स्थानीय परिवार, बच्चों और देशभर से आए पर्यटकों ने बर्फ पर हंसी-ठिठोली के बीच स्केटिंग का आनंद ले सकेंगे। रिंक में बीते सोमवार से ही बर्फ जमाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। रात के समय प्रत्येक घंटे बाद मैदान में नियमित रूप से पानी का छिड़काव किया जा रहा था। आइस स्केटिंग रिंक रिंक शिमला की पहचान और गर्व है। हर बार जब लोग यहां स्केटिंग का आनंद लेते हैं, तो यह रिंक न केवल शिमला की विरासत को जीवित रखता है, बल्कि इसे और भी खास बनाता है।शिमला आइस स्केटिंग क्लब भारत में स्थापित होने वाला पहला और पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी तरह का एकमात्र क्लब है। यह दक्षिण पूर्व एशिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक आइस स्केटिंग रिंक है। आज तक क्लब ने दक्षिण पूर्व एशिया के खेल मानचित्र पर अपनी छवि को बरकरार रखा है। 

 1920 की सर्दियों के दौरान टेनिस कोर्ट को आइस स्केटिंग रिंक में कैसे बदला गया इसके पीछे एक बेहददिलचस्प कहानी है। शिमला आइस स्केटिंग क्लब की स्थापना 1920 में एक अंग्रेज द्वारा की गई। मिस्टर ब्लेसिंगटन ने पानी के नल में बर्फ जमी हुई देखी। वहीं आसपास के क्षेत्र में उन्होंने इसी तरह का नजारा पाया। उनके मन में ख्याल आया कि टेनिस कोर्ट में पानी भर दिया जाए। उसके बाद पूरे टेनिस कोर्ट में बर्फ जम गई। उन्होंने इसका भरपूर आनंद उठाया। यहीं से आइस स्केटिंग की शुरूआत हुई। ब्रिटिश काल के दौरान क्लब ने केवल यूरोपीय लोगों को अपना सदस्य बनाने की अनुमति दी थी, हालांकि बाद में कुछ आरक्षणों के साथ कुछ चुनिंदा भारतीयों को भी सदस्य के रूप में शामिल किया गया था। आजादी के बाद इसे सभी खेल प्रेमियों के लिए खोल दिया गया था। रिंक की साइट स्कैंडल प्वाइंट के ठीक नीचे सर्कुलर रोड के निकट स्थित है और शहर के सभी कस्बों से यहां पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। दिसंबर और जनवरी माह आइस स्केटिंग के लिए पीक सीजन होते हैं। जब चार टेनिस कोर्ट के बराबर क्षेत्र को कवर करने वाला यह रिंक लगभग 15 सेंटीमीटर बर्फ की मोटी परत से ढका होता है।आइस स्केटिंग क्लब शिमला में कई नामी हस्तियां स्केटिंग का आनंद उठा चुकी है। इनमें चेकोस्लोवाकिया के मार्शल टीटो, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, संजय गांधी, अभिनेता राज कुमार रिंक में स्केटिंग कर चुके हैं। अब तक आठ राष्ट्रीय स्तर की स्केटिंग स्पर्धाओं की शिमला आइस स्केटिंग क्लब मेजबानी कर चुका है। इसमें आइस हॉकी, फिगर, स्पीड स्केटिंग नियमित तौर पर होती है, वहीं नए स्केटर्स को प्रशिक्षण की सुविधा भी मिलती है।

 चार साल से लेकर अधिकतम 83 साल तक के स्केटर्स स्केटिंग करने रिंक में आते रहे हैं। शिमला आइस स्केटिंग क्लब में सदस्य स्केटर्स की संख्या 500 तक रहती है। राजधानी शिमला का यह स्केटिंग रिंक बॉलीवुड फिल्मों में भी कई बार नजर आ चुका है। रिंक में शशि कपूर की फिल्म जंगली, मनोज कुमार की फिल्म वो कौन थी, हम तुम और वो में विनोद खन्ना, राज कपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर में ऋृषि कपूर ने इस स्केटिंग रिंक में स्केटिंग करते हुए शूटिंग की है। शिमला आइस स्केटिंग क्लब के सचिव रहे भवनेश बांगा ने बताया कि रिंक में बर्फ जमाने का काम कई साल तक उत्तराखंड के निवासी आनंद सिंह और उसके परिवार के सदस्य करते रहे।दिसंबर से फरवरी माह तक प्राकृतिक तौर पर कोहरा पड़ने से आइस स्केटिंग रिंक में बर्फ जमाई जाती है। रिंक को जमाने की प्रक्रिया भी रोचक है। हर सीजन में सबसे पहले इस रिंक मैदान को समतल किया जाता है। इस पर बराबर मिट्टी बिछा कर गढ्ढे भरने का कार्य किया जाता है। इसके बाद जीरा बजरी को बिछा कर रोलर से इसे सेट किया जाता है। इसके चारों ओर लकड़ी की रोक लगाई जाती है। जीरा बजरी बिछाने के बाद रिंक में रात को पानी भरा जाता है। रात को कोहरा गिरने पर बर्फ जमने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। तीन से चार दिन लगातार कोहरा गिरने से बर्फ जम जाने पर स्केटिंग शुरू हो जाती है। यहां बर्फ जमने की प्रक्रिया में रात में मौसम का साफ रहना जरूरी होता है, तभी कोहरा पड़ने से रिंक में आइस जम पाती है।  


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