कृषि, बागवानी और हाउसिंग सेक्टर में ऋण वितरण लक्ष्य से पीछे
शिमला, ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश में किसानों-बागवानों और आम लोगों के लिए आवास योजनाओं के तहत कर्ज देने में बैंक कंजूसी दिखा रहे हैं। इस पर भारतीय रिजर्व बैंक ने तल्खी दिखाई है। राज्य के लिए तय लक्ष्य से कई बैंक बहुत पीछे हैं। इसके अलावा उधार व जमा अनुपात में प्रदेश के कई जिलों की स्थिति चिंताजनक है। राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी की शिमला में हुई बैठक में आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक अनुपम किशोर ने कई विषयों पर बैंकों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए।
मंगलवार को अनुपम किशोर ने कहा कि राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी ने अच्छा काम किया है। राज्य सरकार के साथ अच्छा समन्वय बनाया है। उन्होंने अन्क्लेम्ड डिपोजिट पर खेद जताया कि इसमें प्रयास नहीं हुए। कुछ बैंकों का इसमें काम शून्य पर है। इस बारे में अधिक सक्रिय होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि क्रेडिट जमा अनुपात यानी सीडी रेशो को लाहौल स्पीति में समझा जा सकता है, पर हमीरपुर और ऊना जिलों में यह ठीक क्यों नहीं है। इस बारे में ज्यादा मॉनीटरिंग की जरूरत है। अन्क्लेम्ड डिपॉजिट के लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह ठीक है कि कुछ जिले इस रेशो में 42 से 49 पर पहुंच गए हैं। आपदा में मोबाइल कनेक्टिविटी चंबा जैसे जिलों में नहीं थी। इसके बावजूद कुछ जिलों में अच्छा काम हो रहा है। एक साल में राष्ट्रीय औसत यानी 60 प्रतिशत को कवर करना है। ई-केवाईसी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भी ध्यान देने की जरूरत है। इस बारे में हिमाचल प्रदेश ग्रामीण बैंक ने अच्छा काम किया है। इस बारे में बैंकर्स को प्रशिक्षण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आपदा राहत पर अधिसूचना जारी की है। बहुत सी योजनाओं का लोगों को लाभ दिया जाना है। इस बारे में बैंकों को भी लोगों को जागरूक करना चाहिए। लोग योजना का लाभ लेने नहीं आ रहे हैं। लोगों में जागरूकता फैलाएं सरकारी स्कीमों का लाभ लें।


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