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जीते जी अपनी आंखों से देखना चाहता हूं शहीद बेटे की प्रतिमा

मरणोपरांत अशोक चक्र विजेता मेजर सुधीर वालिया के पिता रुलिया राम की आंखों से छलका दर्द
पालमपुर, बरिष्ठ पत्रकार सुरेश सूद
21 वर्ष पहले बनुरी गांव के मेजर सुधीर वालिया ने देश की एकता वअखंडता की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देकर मरणोपरांत अशोक चक्र प्राप्त कर एक नई वीर गाथा लिखी थी । हर वर्ष 29 अगस्त को जब इस शूरवीर का शहीदी दिवस मनाया जाता है तो प्रशासन द्वारा हर वर्ष की भांति अन्य शहीदों की तरह मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा भी लगाने का आश्वासन दिया जाता है

शहीद मेजर सुधीर वालिया के 85 वर्षीय पिता सूबेदार रुलिया राम ने अपने आवास पर पंजाब केसरी से बातचीत करते हुए प्रदेश सरकार से नाराजगी जताई व कहा कि पूरा देश उनके बेटे बहादुरी से वाकिफ है फिर भी ऐसी अनदेखी क्यों। रुलिया राम रुंधे स्वर में बोले कि 21 साल के इस लंबे इंतजार के बाद मुझे लगता है कि कहीं अपने शहीद बेटे इस प्रतिमा को लगते देख भी पाऊंगा या नहीं।



लंबे इंतजार के बाद भीप्रतिमा न लगने का दर्द उनकी आंखों से स्पष्ट छलका। शहीद मेजर सुधीर वालिया के घर के हालात भी सुखद नहीं हैं, उनकी माता राजेश्वरी वालिया पिछले 5 वर्षों से ब्रेन क्लोटिंग कि बीमारी के चलते पूरी तरह बिस्तर पर है तथा छोटे भाई की भी 10 वर्ष पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है।

रूलिया राम चाहते है कि उनके बेटे की प्रतिमा भी परमवीर चक्र विजेता शहीद विक्रम वत्रा व सोम नाथ शर्मा के बने स्मारकों के पास लगाई जाए।



इस मौके पर उपस्थित शहीद सुधीर वालिया कि वहन आशा वालिया ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से मांग की है कि उनके वृद्ध माता पिता की ऐसी इच्छा को देखते हुए इस जायज मांग को जल्द पूरा किया जाए ।



ऐसे थे मेजर सुधीर वालिया
शहीद मेजर सुधीर वालिया ने 1978 4 जाट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन पाया। लेफ्टिनेंट सुधीर वालिया को भारतीय शांतिसेना का हिस्सा बनाकर श्रीलंका में लिट्टे से लड़ने के लिए भेजा गया ।श्रीलंका से वापस आने के बाद सुधीर वालिया स्पेशल फोर्स के लिए वालंटियर हुए । 9जी पैरा भारतीय सेना की एक खास टुकड़ी है, जो पर्वतीय आपरेशन के लिए जानी जाती है। मेजर सुधीर वालिया ने कश्मीर घाटी में बहुत से आपरेशन में इस टुकड़ी का नेतृत्व किया और घाटी में आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं का सफाया किया। मेजर सुधीर वालिया की अद्भुत कार्यशैली की वजह से अमरीका ने पैंटागन में अमरीकी सैनिकों को सम्बोधित करते का न्योता दिया, यह एक गैर अमरीकी सैन्य आफिसर के लिए बिरला मौका था। 29 अगस्त,1999 को मेजर सुधीर वालिया ने अपने पांच कमांडो के साथ आतंकियों के बहुत बड़े गिरोह पर हमला किया और बीस आतंकवादियों को मार गिराया। इ म मेजर वालिया को इस अदम्य साहस और आत्म बलिदान के लिए राष्ट्र के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया गया।
क्या कहते हैं एसडीएम
एसडीएम पालमपुर धर्मेश रमोत्रा ने बताया कि पालमपुर प्रशासन मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा लगाने में अब देर नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि शहीद मेजर सुधीर वालिया की प्रतिमा भी मरणोपरांत परमवीर चक्र विजेता मेजर सोम नाथ शर्मा व कैप्टन विक्रम बत्रा की प्रतिमाओं के नजदीक ही लगाने का प्रयास किया जाएगा।

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