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आंतरिक श्रवण से होती है ईश्वर की प्राप्ति: स्वामी प्रकाशानंद


पालमपुर,प्रवीण शर्मा

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर परौर स्थित श्री गोविंद जीवन आश्रम में कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए हैं स्वामी प्रकाशानंद ने बताया कि सतसंग श्रवण के बाद भद्रता आती है तथा बिना भद्रता के भगवान के प्राप्ति नहीं होती है।
 उन्होंने कहा कि श्रवण दो प्रकार का होता है बाहरी व भीतरी आंतरिक श्रवण से ही परमात्मा की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि आराधना ही साधना है तथा हमारी अनादि दो प्रकार की दो प्रकार की निष्ठाएं होती हैं सांख्या तथा भोग। उन्होंने बताया कि 5 तनमात्राएं तथा  3 गुण इन से परे है वह चेतन व दृष्टा है। जो इनका साक्षी है वही ईश्वर है। इसके कारण एक प्रतीक श्री कृष्ण है।
 उन्होंने बताया कि विकास की अंतिम प्रक्रिया श्रीकृष्ण है जब मनुष्य चर्म विकास ज्ञान अवस्था में पूर्णता को प्राप्त होगा तब वह श्री कृष्ण की तरह होगा।
श्री गोविंद जीवन आश्रम परिवार में जन्माष्टमी का पावन पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर स्वामी प्रकाशानंद के सानिध्य में कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया। इस दौरान भजन संगीत तथा विद्यार्थियों के द्वारा गीता के पाठ से प्रारंभ होकर स्वामी प्रकाशानंद अपने प्रवचन उपस्थित श्रद्धालुओं को दिए। यह जानकारी कैलाश शास्त्री द्वारा दी गई।

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