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कृषि विज्ञान केंद्र कांगड़ा के अंतर्गत बिरता गांव में कृषि प्रशिक्षु ने लगाया पौध रोग निदान शिविर

कांगड़ा,रिपोर्ट
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में बीएससी कृषि के चौथे वर्ष के प्रशिक्षुओं ने कांगड़ा के गांव बिरता में पौध रोग निदान शिविर का आयोजन किया। जिसमे कृषि विज्ञान केंद्र के प्रशिक्षु छात्रों ने गांव बिरता के लोगों को कृषि संबंधित विभिन्न विषयों पर जानकारी प्रदान की। सबसे पहले सूरज शर्मा ने आलू और टमाटर में होने वाली विभिन्न बीमारियों के नियंत्रण उपाय के बारे में बताया। जिसके बाद सचिन वर्मा ने हरितगृह में होनी वाली बीमारियों से बचाव के तरीके बताए।  
अभय वर्मा ने 1955 में विदेश से आयात विनाशकारी खरपतवार गाजर घास से फसलों और पशुधन में होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताया तथा "गाजर घास से कम्पोस्ट बनाएँ, एक साथ दो लाभ कमाए" नारा दे कर विनाशकारी खरपतवार गाजर से कम्पोस्ट बनाने की विधि को बताकर कांग्रेस बूटी को पूरे गांव से जड़ से उखाड़ कर समाप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया । पंकज कुमार ने कद्दूवर्गीय सब्जियों के कीट और सुप्रीम ठाकुर व भुवनेश उपमन्यु ने धान और मक्के में होनी वाली विभिन्न बीमारियों और कीट प्रबंधन के तरीकों को बताया । 
दिव्यांश पटियाल ने शिविर में उपस्थित किसानों को प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले जीवामृत, बीजामृत,नीमस्त्र जैसे जैविकसूत्रीकरण को बनाने की विधि बताई और किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए भी प्रेरित किया। शिविर के अंत में कृषि विज्ञान केन्द्र में रावे प्रशिक्षुओं के प्रोग्राम संयोजक डॉ० दीप कुमार जी ने सभी किसानों को संबोधित करते हुए प्रशिक्षु छात्रों द्वारा दी गई जानकारी को जमीनीस्तर पर अपनाने के लिए कहा,डॉ दीप कुमार ने छात्रों की सराहना करते हुए बताया की कृषि विज्ञान केन्द्र कांगड़ा में हर वर्ष कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से बीएससी एग्रीकल्चर के चौथे वर्ष के छात्र कृषि विज्ञान केन्द्र कांगड़ा के अंतर्गत विभिन्न गांवों में पौध रोग निदान शिविर का आयोजन करते हैं और ऐसा पहली बार हुआ है की सभी प्रशिक्षुओं ने इस कार्यक्रम को इतने खूबसूरत तरीके से आयोजित किया व विभिन्न विषयों पर किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। डॉ दीप कुमार ने अंत में सभी किसानों का इस शिविर में उपस्थित होने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र कांगड़ा की ओर से धन्यवाद व आभार प्रकट किया। इस दौरान कांगड़ा के प्राकृतिक खेती के मास्टर ट्रेनर हरबंश लाल जी,कृषि विज्ञान केन्द्र कांगड़ा के कृषि विशेषज्ञ डॉ दीप कुमार जी और गांव बिरता के करीब 55 किसान उपस्थित रहे।

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