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मणिमहेश राख मंदिर का भी है मणिमहेश की तर्ज पर महत्व

मंदिर के पानी को मणिमहेश का ही पानी माना जाता है

शनिवार 4 सितंबर को होगा भंडारा

पालमपुर,रिपोर्ट
मणिमहेश राख मंदिर का भी मणिमहेश की तर्ज पर ही महत्व माना जाता है तथा यहां से ही भूजल नदी का शुरुआती स्त्रोत बताया जाता है। यहां पर ऐसी मान्यता है कि लगभग 250 साल पुराना यहां पर किसी तपस्वी द्वारा यह सिद्ध किया गया था कि जो यह पानी यहां पर आ रहा है। यह मणिमहेश का पानी है तथा तब से ही इसे भी मणिमहेश के शुभ स्नान के दौरान ही लोग दूर-दराज के क्षेत्रों से स्नान करने आते हैं।
जानकारी देते हुए कमेटी के कोषाध्यक्ष रमेश धीमान ने बताया कि इस मंदिर का बहुत पुराना इतिहास है तथा इस मंदिर के पानी को मणिमहेश का ही पानी माना जाता है। उन्होंने बताया कि यहां काफी दूरदराज के क्षेत्रों से लोग स्नान करने आते हैं तथा उनकी सुविधा के लिए कमेटी हर संभव प्रयास करती है। उन्होंने बताया कि इसी तर्ज पर शनिवार 4 सितंबर को मणिमहेश महादेव मंदिर राख में जब मणिमहेश मैं राधा अष्टमी के उपलक्ष में समान होता है तो यहां पर भी स्नान लोग करने आते हैं । जिस पर कमेटी द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन भी उस दिन शाही स्नान के अवसर पर किया जा रहा है। 

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