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नहीं रहे पालमपुर के सेंट पॉल में लगभग तीन पुश्तों को पढ़ाने वाले मास्टर उत्तम चंद कटोच

उनसे पढ़ाई किये हुए बच्चे आज भी उनके चिंडू को याद करते हैं और उस चिंडू के डर से ही वह होमवर्क करके आते थे 

पालमपुर, रिपोर्ट 
पालमपुर के प्रसिद्ध सख्त प्रवृति के अध्यापक के रूप में जाने जाने वाले मास्टर उत्तम चंद कटोच जी का 1 दिसंबर 2022 को 93 साल की उम्र में निधन हो गया। मास्टर उत्तम चंद कटोच को पूरा पालमपुर गुरुजी के रूप में जानता और पूजता था। वह कई दशकों तक सेंट पॉल स्कूल में बतौर अध्यापक कार्य करते रहे बच्चों को शिक्षा देना उनका शौक था उनका जनून था उनका व्यवसाय या मजबूरी नहीं थी। घर से साधन संपन्न होने के बावजूद भी वह केवल मात्र बच्चों को पढ़ाने के लिए ही स्कूल जाते थे उन्हें सैलरी से मतलब नहीं था उनका ध्येय था कि वह इस जीवन में समाज के लिए कुछ करें बच्चों का भविष्य बनाएं और उन्हें समाज में इस काबिल बनाएं कि वह दूसरों के लिए कार्य कर सकें देश की सेवा कर सकें समाज के लिए सार्थक बन सकें। 
उनका मानना था कि मैं साधन संपन्न हूं तो इसका मतलब यह नहीं कि दूसरे लोग खुद खुद को साधन संपन्न न बना पाए या वह अपने पैरों पर खड़े न हो सकें। यही कारण है की आज उनके पढ़ाये बच्चे हर क्षेत्र में प्रमुख पदों पर तैनात हैं। पालमपुर में और उनके पैतृक गांव में उनकी अकूत संपत्ति है ,परंतु फिर भी वह शिक्षा के प्रति बहुत सजग थे और अपना जीवन उन्होंने लोगों की सेवा और बच्चों के भविष्य को बनाने में लगा दी । गरीब बच्चों के भविष्य को सुधारना उनका जीवन का  ध्येय था। पालमपुर की जितनी भी बड़ी हस्तियां है उन्होंने लगभग सभी लोगों को शिक्षा प्रदान की है। क्योंकि उस जमाने में सेंट पॉल स्कूल ही एकमात्र सबसे अच्छा ओर अग्रणी स्कूल होता था जिसमें अच्छी शिक्षा पाने के लिए लोग तरसते थे ।आज भी जो लोग उनके पास पढ़ें हैं वह भी बुजुर्ग हो गए हैं तथा जब भी वह मास्टर जी की बात करते हैं तो वे उनके अनुशासन और डंडे से बहुत की सोच कर कांप उठते हैं। उनसे पढ़ाई किये हुए बच्चे आज भी उनके चिंडू को याद करते हैं और उस चिंडू के डर से ही वह होमवर्क करके आते थे और अनुशासन में रहते थे । 

अपना पाठ याद करते थे अपने पहाड़े याद करते थे। कहते हैं कि मास्टर उत्तम चंद जी इतने अनुशासित थे की उनके क्लास की घंटी बजते ही सभी विद्यार्थी एकदम से सजग और अनुशासित हो जाते थे। मस्ती ,शोर शराबे की बात तो छोड़िए उनके क्लास में आते ही वे सब मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल पाता था। वह जब क्लास में आते थे तो एकदम से पिन ड्रॉप साइलेंस हो जाती थी तथा उनके द्वारा दिए गए होमवर्क को सभी लोग बहुत ही सफाई से और नियमित रूप से करते थे, क्योंकि उनकी क्लास से अनुपस्थित रहना या होमवर्क नहीं करना उनके लिए बहुत बड़ी सजा का कारण बन जाते थे। एक बहुत बड़े नेता और बिजनेसमैन ने बताया कि हम तो मास्टर जी के चिंडू के डर से ही पड़ गए वरना शायद हम खूब मस्ती करते फिरते और पढ़ ना पाते, और जो आज हम बन गए हैं जो सफलता पाई है वह शायद न प्राप्त कर सकते हैं। अपनी ही क्लास में नहीं जब भी वह स्कूल में किसी भी क्लास में या ग्राउंड में चक्कर लगाते थे तो सभी विद्यार्थी उनके अनुशासन  के कारण सहम जाते कि कहीं मास्टर जी की हमारी अनुशासनहीनता पर नजर पड़ी तो हमारी खैर नहीं। स्कूल के अलावा वे अपने घर पर भी वह बहुत ही अनुशासित ढंग से अपना जीवन यापन करते थे। उनके सभी रिश्तेदार और घर परिवार उनके अनुशासन के नियमों से डरते थे और आसपास के लोग भी उनके अनुशासन के कारण उनकी बहुत इज्जत करते थे ।
अपने परिवार को उन्होंने खूब पढ़ाया लिखाया बच्चों को प्रोफेसर और प्राध्यापक बनाया। सार्वजनिक जीवन में भी वह अनुशासित ही रहते थे तथा गरीब और जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए हमेशा बढ़-चढ़कर आगे आते थे। कोई भी गरीब अगर उनके पास, कोई भी, फरियाद लेकर जाता था तो वह उसे कभी खाली हाथ नहीं लौटने देते थे। पालमपुर में उनके पास काफी जमीन है और वह अपने जमीन में ही ताजी फल सब्जियों उगाते रहे  और  गाय माता की सेवा करते रहे तथा अपने परिवार के साथ चार और परिवारों के पालन पोषण का इंतजाम करते रहे। अड़ोस पड़ोस में भी उनके अनुशासन का इतना डर था कि कोई भी अगर छोटी सी भी गलती कर लेता था तो लोग व उनके रिश्तेदार कहते थे कि मास्टर जी को यह बात मत बताना वरना वह हमारी क्लास लगा देंगे। मास्टर उत्तम चंद जी साधन संपन्न थे तथा बुटेल परिवार के साथ उनके बहुत अच्छे परिवारिक संबंध रहे । उन्होंने अपने दो बेटों और एक बेटी को खूब पढ़ाया लिखाया बड़े बेटे को सेना में देश की सेवा के लिए भेजा ।छोटे बेटे को प्रोफेसर बनाया बेटी प्रिंसिपल रिटायर हुई है तथा दोनों बहुएं एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और एक स्कूल में लेक्चरर हैं। उनके निधन से ना केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे पालमपुर शहर को एक अपूरणीय क्षति हुई है जिसे निकट भविष्य में पूरा करना असंभव है। पालमपुर की सभी बड़ी हस्तियां उनके अंतिम संस्कार में पहुंची और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की साथ ही उनके अनुशासन और सादगी भरे जीवन की प्रशंसा की। ईश्वर से प्रार्थना है कि ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।

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