छोड़े जाने वाले मवेशियों से कई समस्याएं हो रहीं उत्पन्न
पशुओं के पोस्टमार्टम को आधुनिक उत्तर आधुनिक केंद्र खोलने की घोषणा
पालमपुर, रिपोर्ट
चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. जी.सी. नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय में सोमवार से पोस्टमार्टम निदान के साथ पशु चिकित्सा कानूनी जांच विषय पर पांच दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स शुरू हुआ। कुलपति प्रो.एच.के.चौधरी ने बतौर मुख्यातिथि अपने उद्घाटन भाषण में सटीक राय और प्रशिक्षण देने के लिए विश्वविद्यालय में पोस्टमार्टम के लिए आधुनिक केंद्र खोलने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम करने के लिए, वैज्ञानिक और कानूनी रिपोर्ट लिखने के लिए नमूना संग्रह के लिए विशेष वैज्ञानिक ज्ञान की आवश्यकता होती है, जिसके लिए इस तरह के प्रशिक्षण बहुत महत्वपूर्ण हैं।
प्रोफेसर चौधरी ने मानव जीवन में जानवरों के महत्व को रेखांकित किया और सभी को प्रोत्साहित किया कि उनके साथ परिवार के सदस्य की तरह व्यवहार करें क्योंकि वे बहुत प्यार से प्रतिक्रिया करते हैं। उन्होंने कहा कि जानवरों के खिलाफ क्रूरता बंद होनी चाहिए। उन्होंने छोड़े गए मवेशियों का उदाहरण देते हुए कहा कि मालिकों द्वारा उनके खिलाफ क्रूरता के कारण समाज में कई समस्याएं पैदा हो रहीं हैं। उन्होंने यह भी सलाह दी कि समाज ऐसा न करें। पारिस्थितिकी को बिगाड़ें नहीं और जंगलों में फलों के पेड़ लगाएं ताकि बंदरों और अन्य जानवरों को बाहर भोजन खोजने के लिए अपना रिहायशी स्थान छोड़ने की आवश्यकता न पड़े।
उन्होंने आयोजकों से कहा कि वे पाठ्यक्रम के अंत में पहले तीन प्रशिक्षुओं का परीक्षण करने के बाद उन्हें सम्मानित करें। कुलपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि विशेषज्ञ शीर्ष पशु चिकित्सा संस्थानों से अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें इसमें पूरी लगन के साथ भाग लेना चाहिए। उन्होंने पाठ्यक्रम से संबंधित 20 पोस्टर और पैम्फलेट भी जारी किए।
डीन डॉ मनदीप शर्मा ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम फील्ड अधिकारियों के कौशल को तेज करते हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं को अन्य पशु चिकित्सकों के लिए मास्टर ट्रेनर बनने के लिए कहा। पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. आर.के. असरानी ने बताया कि राज्य पशुपालन विभाग के 20 पशु चिकित्सा अधिकारी इसमें भाग ले रहे हैं। डॉ. राकेश कुमार और आरडी पाटिल ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उद्घाटन समारोह में विश्वविद्यालय के संविधिक अधिकारियों और विभागाध्यक्षों के अतिरिक्त राज्य पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. संदीप मिश्रा, भारतीय पशु पालन शोध संस्थान की वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. रिंकू पाटिल शर्मा मौजूद रहे।
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