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जिला शिमला में घरों पर खतरा बने एक पेड़ को काटने के वसूल रहे हैं 65 हजार

                                 शाखाएं काटने तक के 15 से 30 हजार रुपये लिए जा रहे हैं

शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा 

राजधानी में रिहायशी भवनों पर खतरा बनकर मंडरा रहे पेड़ों को काटना शहरवासियों के लिए मुसीबत बन गया है। आपदा के बीच कई मजदूर घरों पर खतरा बने पेड़ों को काटने के एवज में मनमाने पैसे वसूल रहे हैं। आकार और लंबाई के अनुसार एक पेड़ को काटने के 50 हजार से लेकर 65 हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। शाखाएं काटने तक के 15 से 30 हजार रुपये लिए जा रहे हैं।

राजधानी में घरों पर खतरा बने पेड़ों को टुकड़ों में काटकर सुरक्षित तरीके से नीचे उतारने और फिर उन्हें हटाने का ज्यादातर काम कश्मीरी मजदूर करते हैं। इनमें से ज्यादातर मजदूर वन विभाग के साथ काम कर रहे हैं। विभाग ने इन मजदूरों के साथ चार टीमें बनाई हैं जो एसडीएम की मंजूरी के बाद पेड़ काटती हैं। ये विभाग से आठ से दस हजार रुपये प्रति पेड़ के हिसाब से पैसा लेते हैं।हालांकि, विभाग की ये टीमें अभी सिर्फ वन या सरकारी भूमि पर खड़े खतरनाक पेड़ ही काट रही हैं। सड़कों या सार्वजनिक संपत्ति को होने वाले नुकसान को देखते हुए ही ये टीमें निजी जमीन से पेड़ काटती हैं। ज्यादातर मामलों में यदि पेड़ निजी जमीन पर खड़ा है तो उसे खुद भवन मालिक को कटवाना पड़ेगा। 

लोगों को जो मजदूर मिल रहे हैं, वे लोगों की बेबसी को देखते हुए मनमाना पैसा वसूल रहे हैं।रुल्दूभट्ठा पार्षद सरोज ठाकुर ने बताया कि वार्ड में मान हाउस के पास जितेंद्र खन्न्ना के मकान पर खतरा बने पेड़ को काटने के मजदूरों ने 65 हजार रुपये मांगे। समरहिल, बैनमोर में भी कई लोगों से 30 से 50 हजार रुपये लेकर खतरनाक पेड़ काटे गए हैं। महापौर सुरेंद्र चौहान ने भी माना कि शहर में पेड़ों को काटने के एवज में 50 हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। कहा कि कुशल मजदूर न होने से परेशानी झेलनी पड़ रही है।वन विभाग की टीमें शहर में पेड़ तो कटवा रही हैं, लेकिन ये टीमें एक दिन में छह से आठ खड़े पेड़ ही काट पाती हैं। इसके अलावा गिरे हुए पेड़ काटने का जिम्मा भी इनके पास है। शहर में 500 से ज्यादा पेड़ों को काटने के आवेदन आए हैं। इनमें से यदि 150 पेड़ भी काटने की मंजूरी एसडीएम से मिलती है तो टीम को इन्हें काटने में एक महीना लग जाएगा। तब तक खतरनाक पेड़ ढह न जाए, इसीलिए लोगों को खुद ही मजदूर बुलाकर पेड़ कटवाने पड़ रहे हैं। कुछेक लोग वन विभाग और लोक निर्माण विभाग से भी मजदूर पेड़ काटने के लिए बुला रहे हैं। ये एक पेड़ का 10 से 20 हजार रुपये वसूल रहे हैं।एसडीएम की मंजूरी के तुरंत बाद खतरनाक पेड़ कटवाए जा रहे हैं। विभाग की टीमें सरकारी जमीन पर खड़े खतरनाक पेड़ ही काट रही हैं। नियमानुसार निजी जमीन पर खड़े पेड़ लोगों को खुद कटवाने होंगे। शहर में खड़े पेड़ों को सुरक्षित तरीके से काटने वाले मजदूरों की कमी है। इसके चलते कई जगह से मनमाने शुल्क वसूलने की शिकायतें आ रही हैं।




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