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एम्स बिलासपुर में अगले साल से पैट स्कैन की सुविधा

  एम्स प्रबंधन की मानें तो अगले साल मई-अगस्त के बीच में पैट स्कैन से मरीजों की जांच शुरू हो जाएगी

बिलासपुर,रिपोर्ट दीनानाथ ठाकुर 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर में कैंसर के मरीजों की सुविधा के लिए पैट सीटी स्कैन मशीन लगा जा रही है। अस्पताल प्रबंधन ने मशीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि अगले छह से नौ महीने में मरीजों को पैट स्कैन (पोजिट्रोन एमिशन ट्रोमोग्राफी) की सुविधा मिलने लगेगी। प्रदेश के लोगों को यह सुविधा देने वाला एम्स पहला स्वास्थ्य संस्थान होगा। यहां पैट स्कैन की सुविधा कम दरों पर मिलेगी। बड़ी बात यह है कि मरीजों को चंडीगढ़ का रुख भी नहीं करना पड़ेगा।

एम्स प्रबंधन की मानें तो अगले साल मई-अगस्त के बीच में पैट स्कैन से मरीजों की जांच शुरू हो जाएगी।ससे कैंसर के मरीजों को अतिरिक्त सुविधा मिल जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार प्रारंभिक चरण में एमआरआई की तुलना में पैट स्कैन से अच्छा परिणाम मिलता है। शरीर के किस अंग और हिस्से में ट्यूमर की गांठ है, जांच में पता चल जाएगा। मेडिकल की भाषा में कहें तो कैंसर का बायोलॉजिकल कारण जांच से पता चल जाता है। इससे चिकित्सकों के लिए इलाज करने में आसानी होती है। निजी अस्पतालों में एक बार जांच के 10 से 25 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। पीजीआई चंडीगढ़ में पेट स्कैन 8500 रुपये में किया जाता है। गले और कमर के स्कैन के दाम अलग-अलग हैं। पीजीआई में पैट स्कैन के लिए मरीज को जरूरी इंजेक्शन अलग से लाने पड़ते हैं। एम्स बिलासपुर में सुविधा शुरू होने के बाद लोगों को पीजीआई आने-जाने के खर्च से भी राहत मिलेगी।

पैट स्कैन डॉक्टर को कैंसर के लिए सबसे बेहतर इलाज का चयन करने में मदद करता है। यह भी बताता है कि उपचार कितने अच्छे से काम कर रहा है। पैट स्कैन यह देखने के लिए भी किया जा सकता है कि क्या ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी की जा सकती है या नहीं। पैट स्कैन का इस्तेमाल यह देखने के लिए भी किया जाता है कि कैंसर कितना गंभीर है और क्या शरीर के अन्य भागों में भी फैल गया है।बिलासपुर एम्स में पैट स्कैन की सुविधा छह से नौ माह में शुरू होगी। इसका कैंसर के रोगियों को बेहतर लाभ मिलेगा। प्रदेश के लोगों को पैट स्कैन कराने के लिए अभी पीजीआई चंडीगढ़ जाना पड़ता है, लेकिन अगले साल एम्स में सुविधा शुरू होने से उन्हें बाहर का रुख नहीं करना पड़ेगा।




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