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प्रदेश सरकार के आपदा में भी नहीं डगमगाए कदम

चुनौतियों भरी डगर पर सफर जारी

शिमला, ब्यूरो रिपोर्ट
सत्ता में आने से पहले दस गारंटियों का वादा करने वाली सुक्खू सरकार का एक साल का कार्यकाल 11 दिसंबर को पूरा हो गया है। आर्थिक संकट से जूझती सरकार बरसात में आई प्राकृतिक आपदा में डगमगाई नहीं। लेकिन  सफर चुनौतियों भरा है।
बिना केंद्र की मदद से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना होगा। सरकार और संगठन में तालमेल के साथ लोकसभा चुनाव में भाजपा की आंधी को रोकना आसान भी नहीं लग रहा है। सरकार ने एक साल में तीन गारंटियां लागू कर दी हैं। चार अन्य पर चरणबद्ध तरीके से काम हो रहा है। तीन पर अभी सरकार ने सोचा भी नहीं है।  4500 करोड़ का आपदा राहत पैकेज अपनी जेब से देना और प्रदेश पर 80,000 करोड़ का कर्ज मुश्किलें और बढ़ाएगा।कांग्रेस सरकार ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही पहली गारंटी पर फैसला लिया और इसे लागू करके पुरानी पेंशन का लाभ देना शुरू किया। एक अन्य गारंटी 680 करोड़ की युवा स्टार्टअप योजना शुरू की। युवाओं को कारोबार शुरू करने के लिए ब्याजमुक्त ऋण दिया जा रहा है। तीसरी गारंटी नए सत्र से अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने का फैसला लागू किया जा रहा है। महिलाओं को हर महीने 1500-1500 रुपये देने की भी गारंटी दी थी। शुरुआत स्पीति की बौद्ध भिक्षुणियों चोमो के खातों में पैसा डालकर कर दी है। अन्य के लिए कसरत जारी है।
फलों की कीमत बागवान तय करेंगे, इस दिशा में भी सरकार आगे बढ़ी है। किलो के हिसाब से सेब की खरीद शुरू कर दी गई है। अगले वर्ष से यूनिवर्सल कार्टन लागू होगा। पांच साल में पांच लाख को रोजगार देने की भी गारंटी दी गई थी। दो रुपये किलो गोबर खरीदने की गारंटी पर अब खाद खरीदने की योजना है। पशुपालकों से गाय का दूध 80 और भैंस का हर दिन 10 लीटर दूध 100 रुपये प्रति लीटर खरीदने की गारंटी की घोषणा जल्द हो सकती है। इसके तहत सरकार कांगड़ा में एक बड़ा डेयरी प्लांट खोल रही है। हालांकि, अस्पताल वाली गाड़ी को घर-गांव भेजने, 300 यूनिट बिजली मुफ्त देना अभी धरातल में लागू करना शेष है।



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