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आग से ऊना जिले को बचाने के सारे प्रबंध नाकामयाब, प्रसाशन पर सवालिया निशान

                           ऊना शहर को आग से बचाने के लिए प्रबंध नाकाफी, फायर हाइड्रेंट तक नहीं

ऊना,ब्यूरो रिपोर्ट 

ऊना शहर के तंग बाजार में आग लगने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए पुख्ता प्रबंध ही नहीं हैं। आजतक शहर में फायर हाईड्रेंट तक स्थापित नहीं हो सके हैं। बाजार में पटाखा बिक्री करने वाली दुकानों, कपड़ा, लकड़ी, मनियारी, स्टेशनरी सहित अन्य दुकानें भी मौजूद हैं। मगर इनमें से अधिकांश दुकानों में अग्निशामक यंत्र तक नहीं हैं। हालांकि यहां अभी तक आग लगने की घटना पेश नहीं आई है, लेकिन जब कभी होगी तो बड़े स्तर पर नुकसान हो सकता है।

सोलन जिला के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी के झाड़माजरी स्थित एक सेंट उद्योग में आग लगने की घटना ने कई कामगारों के जीवन पर खतरे में डाला दिया है। इस लिहाज से ऊना शहर के प्रमुख बाजार भी काफी संवेदनशील हैं। यहां आजतक आग लगने की स्थिति से निपटने के लिए प्रबंध हाशिये पर हैं। ऊना में मुख्य बाजार, जीवन मार्केट, खोखा मार्केट, अरविंद मार्ग मार्केट में लगभग 300 से ज्यादा दुकानें हैं। खोखा मार्केट की गलियां अतिक्रमण के कारण बुरी तरह से सिकुड़ चुकी हैं। आग लगने जैसे विपरीत हालात में यहां दमकल वाहनों का पहुंचना आसान नहीं हैं।

उधर, प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुमेश शर्मा का कहना है कि व्यापार मंडल की ओर से समय-समय पर आग जैसी घटनाओं पर नियंत्रण के लिए दुकानदारों को जागरूक किया जाता है, ताकि आपात स्थिति से निपटा जा सके। वहीं, शहर के बुद्धिजीवी राजेंद्र शर्मा कहते हैं कि ऊना के प्रमुख बाजारों में अतिक्रमण के चलते खरीदारी करना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। अगर आग लगने जैसी घटनाएं हों तो यहां आग बुझाने के लिए कड़ी मशक्त करनी पड़ेगी।

हालांकि अग्निशमन केंद्र ऊना के प्रभारी नितिन धीमान ने कहना है कि ऊना के नजदीकी रामपुर में अग्निशमन केंद्र में तीन वाटर टेंडर आग जैसी घटनाओं पर काबू पाने के लिए मौजूद हैं। इसमें से 4,500 लीटर की दो गाड़ियां, नौ हजार लीटर का का एक वाटर बाउजर, एक कैफ्स बाइक है। इसमें आग से बचाव के लिए यंत्र लगे होते हैं। तंग गलियों में गाड़ी न पहुंचने पर यह फौरी राहत के लिए छोटी मोटी घटनाओं में कारगर माना जाता है।ऊना शहर में फायर हाइड्रेंट स्थापित करने के लिए अभी टेंडर आदि का कार्य होना बाकी है। इसका आकलन किया जा रहा है। 2.78 करोड़ रुपये खर्च कर फायर हाइड्रेंट की स्थापना पर किया जाएगा।


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