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शिंकुला दर्रा: चार महीने के बाद बहाल हुआ

      20 से 25 फुट ऊंची बर्फ की दीवारों को काटकर चार महीने बाद शिंकुला दर्रा फिर से जीवित हुआ

लाहौल और स्पीति , ब्यूरो रिपोर्ट

करीब चार महीने बाद, समुद्रतल से 16,500 फुट ऊंचा शिंकुला दर्रा फिर से यातायात के लिए खुला है। बीआरओ की योजक परियोजना के मुख्य अभियंता आरके साहा ने इसका शुभारंभ करते हुए छोटे वाहनों को हरी झंडी दिखाई।


दारचा-शिंकुला-पदुम-लेह मार्ग को गुरुवार को खोलने के लिए बीआरओ ने दर्रा से बर्फ हटाया है। इसके माध्यम से लद्दाख की जांस्कर घाटी और लाहौल के साथ कुल्लू-मनाली भी जुड़ी हुई है। इस बार भारी बर्फबारी के कारण मार्ग को फिर से शुरू किया गया है। हालाँकि पिछले साल 23 मार्च को सड़क वाहनों के लिए फिर से खुली थी। 


आरके साहा ने कहा कि मार्ग खुलने से पर्यटन भी बढ़ेगा। मनाली-दारचा-जांस्कर मार्ग, जो शिंकुला दर्रा से गुजरता है, सीमा सड़क संगठन के अनुसार अत्यंत संवेदनशील है। हम कई जगहों पर दो से पांच फुट ऊंची बर्फ की दीवारों को काटकर आगे बढ़ना पड़ा। यहां बुधवार सुबह भी लगातार बर्फबारी हुई। 


बावजूद इसके, संगठन के युवा शिंकुला दर्रा की बहाली के प्रयासों में लगे रहे। 126 आरसीसी के ओसी लेफ्टिनेंट कर्नल अरविंद कुमार ने कहा कि उनके जवानों ने शिंकुला दर्रा बहाल करने में बहुत मेहनत की है। जवानों को शिफ्ट में दिन-रात माइनस तापमान पर काम करना पड़ा।


 

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