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चचिया नगरी में हिमाचल प्रदेश की साध संगत ने मनाया डेरा सच्चा सौदा का रूहानी स्थापना माह का शुभ भंडारा

                                        क्लॉथ बैंक मुहिम के तहत 76 जरूरतमंद बच्चों को बांटे कपड़े 

चाचियां,ब्यूरो रिपोर्ट 

सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा का 76वां रूहानी स्थापना माह का शुभ भंडारा रविवार को हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के एमएसजी डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केंद्र शाह सतनाम जी सचखंड धाम चचिया नगरी में बड़ी धूमधाम व हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। पावन भंडारे के अवसर पर आयोजित नामचर्चा सत्संग कार्यक्रम में बारिश के बावजूद हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग जिलों से बड़ी तादाद में साध संगत में हिस्सा लिया। नामचर्चा सत्संग कार्यक्रम के दौरान स्थानीय साध संगत की ओर से क्लॉथ बैंक मुहिम के तहत 76 जरूरतमंद बच्चों को कपड़े वितरित किए गए। नामचर्चा सत्संग के दौरान पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचनों को बड़ी बड़ी एलईडी स्क्रीनों पर चलाया गया। इस दौरान साध संगत ने धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा का पवित्र नारा लगाकर पूज्य गुरु जी को पावन रूहानी स्थापना माह की बधाई दी।

पूज्य गुरु जी ने सच्चे सौदे का मकसद क्या है, के बारे में बताते हुए फरमाया कि सच्चा मालिक, प्रभु, परमात्मा, वाहेगुरु है। वह सच था, सच है और सदा ही सच रहेगा। वह ना कभी बदला था, ना कभी बदला है और ना ही कभी बदलेगा। जो सच है उसे ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड कहा जाता है। डेरा सच्चा सौदा में कोई भी इंसान यहाँ अपने बुरे कर्म छोड़ जाए और बदले में राम का नाम ले जाये। उस राम नाम को घर में रहते हुए जितना जाप करोगे उतनी ही ज्यादा खुशियां मिलेगी। यहां पर दीन दुखियों की मदद करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है। सभी धर्म में भी दान निकालने की प्रथा रही है। डेरा सच्चा सौदा में नशेड़ी लोगों का नशा छुड़ाया जाता है। पशु, पक्षियों, परिंदों का इलाज करने की शिक्षा दी जाती है। गरीब परिवारों की बेटियों की शादी और उन्हें शिक्षित करने की प्रेरणा भी यहां दी जाती है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि सच बोलो, सच पर चलो और सच की पैरवी करो। लेकिन सच बोलना आसान बात नहीं है।

 पूज्य गुरुजी ने साध संगत से आह्वान किया कि छोटी उम्र में ही बच्चों को राम नाम से जोड़े, ताकि वह ऐसा वट वृक्ष बने जिससे उसकी खुशबू से पूरा समाज महक जाए। सच्ची जवानी और सच्चा बचपन क्या होता है के बारे में बताते हुए फरमाया कि बचपन और जवानी में जो राम नाम से जुड़ जाते हैं वह अपने आप में अव्वल दर्जे के भक्त कहलाते हैं। बचपन की भक्ति सर्वोत्तम मानी गई है। क्योंकि इस उम्र में फिसलने का डर ज्यादा रहता है। हालांकि अब कलयुग आ गया जिसमें तजुर्बेकार ज्यादा फिसलते है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि भारत जैसा कल्चर,सभ्यता पूरी दुनिया में नहीं है। सभी को गर्व होना चाहिए कि हम भारत के निवासी हैं। पूज्य गुरुजी ने फरमाया कि उन्हें बेइंतहा गर्व है कि हमने उसे देश में जन्म लिया जिसकी संस्कृति पहले नंबर पर है। हमने उसे देश में जन्म लिया जहां पर पाक पवित्र वेद पढाये जाते हैं, पाक पवित्र वेद पढ़ने सिखाए जाते हैं। सभी धर्म के ग्रन्थों की रचना भी हमारे देश में हुई है। जो हमारे सभी धर्मों को एक नई दिशा देने के लिए प्रहरी का काम ही नहीं बल्कि एक महापुरुष का काम कर रहे हैं। गुरु, संत, पीर, पैगंबरों का काम कर रहे हैं। 

लेकिन अफसोस है कि कोई इनको पढ़ता नही है। उनकी बातों पर अमल नही करता। इसलिए पीर फकीर आते हैं और उन संत महापुरुषों की बात सुनाते हैं। पीर फकीर सिखाते हैं कि हमारा धर्म हमें क्या करने की शिक्षा देता है। पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि सभी धर्मों में नशा न करने की सलाह दी गयी है।नामचर्चा सत्संग कार्यक्रम में डेरा सच्चा सौदा की साध संगत द्वारा किए जा रहे 162 मानवता भलाई कार्यो में शामिल 27 वें कार्य आशियाना मुहिम, जिसके तहत साध संगत जरूरतमंद लोगों घर बनाकर देती है, सम्बन्धी डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। डॉक्युमेंट्री के माध्यम से आम जन को जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए प्रेरित किया गया। अब तक डेरा सच्चा सौदा की साधसंगत द्वारा 2500 के करीब मकान बनाकर दिए गए है और अब भी यह कार्य अनवरत जारी है। इस कार्य पर अब तक 22 करोड़ से अधिक का खर्चा हो चुका है।



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