हिमाचल में चिट्टा चाट रहा युवा पीढ़ी का भविष्य
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश के लिए चिट्टा तस्करी की समस्या दिन-प्रतिदिन गंभीर होती चली जा रही है। राज्य का युवा नशे की चपेट में फंस रहा है। युवाओं के नशे से खोखले होने के साथ सूबे का भविष्य भी संकट में नजर आ रहा है। राज्य में चाहे कांग्रेस की सरकार सत्ता में रही हो या भाजपा की, लेकिन बाहरी राज्यों से नशीले पदार्थों की तस्करी नहीं रुक पा रही है।
नशे ने हिमाचल में दशकों से अपनी जड़ें जमा रखी हैं। चरस-अफीम के जाल से ही राज्य बाहर नहीं निकल पाया था कि अब सिथेंटिक नशा चिट्टा युवाओं के लिए खतरा बन गया है। जनता सांसदों को भी इसी उम्मीद के साथ चुनती है कि वे नशे से खोखला होते हिमाचल का मुद्दा संसद तक ले जाएंगे, मगर यह अपेक्षाएं अधूरी हैं। हिमाचल प्रदेश में सरकार ने आरोपियों की 14.33 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। इन मामलों में जो आरोपी गिरफ्तार हुए हैं, उनमें 2 हजार 136 पुरुष और 79 महिलाएं शामिल हैं। पुलिस दावे करती रही है कि हिमाचल प्रदेश में चिट्टा की तस्करी के स्रोत अफगानिस्तान, पाकिस्तान आदि हैं। ड्रोन की मदद से अफगानिस्तान और पाकिस्तान से हिमाचल प्रदेश के पड़ोसी राज्यों तक चिट्टा पहुंचाया जा रहा है।
इसके बाद यह हिमाचल की सीमाओं तक पहुंच रहा है।प्रदेश सरकार ने सख्ती के लिए केंद्र सरकार से एनडीपीएस एक्ट में संशोधन करने की सिफारिश की है। अभी ये मामला गृह मंत्रालय के विचाराधीन है। हिमाचल प्रदेश की अन्य राज्यों के साथ 360 किलोमीटर की सीमा है। चिंता का विषय यह है कि चिट्टा हिमाचल के जनजातीय और दुर्गम इलाकों तक पहुंच रहा है। बीते तीन साल में हिमाचल में 4 हजार 445 आरोपियों को चिट्टा तस्करी या इसके उपयोग के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। सरकार चिट्टा तस्करों की संपत्ति को भी जब्त कर रही है। इस नशे की लत के कारण प्रदेश के युवा बर्बादी की तरफ बढ़ रहे हैं।
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