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युद्धों और अन्य सैन्य ऑपरेशन में हिमाचल के 1708 जवान हुए बलिदान

                               ऑपरेशन सिंदूर ही नहीं देश की रक्षा के लिए हर जंग में बहा हिमाचली लहू

हमीरपुर,ब्यूरो रिपोर्ट 

देश की आजादी के बाद से चीन और पाकिस्तान से हुए युद्धों और अन्य सैन्य ऑपरेशन में हिमाचल के 1708 जवान बलिदान हुए हैं। चीन के साथ 1962 का युद्ध हो या 1965 और 1971 की पाकिस्तान से जंग, हिमाचल के सपूतों ने देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। 

यही वजह है कि हिमाचल के इन सपूतों को जीवंत और मरणोपरांत वीरता पुरस्कारों से नवाजा गया है। देश के पहले परमवीर चक्र मेजर सोमनाथ शर्मा भी हिमाचल के कांगड़ा से ताल्लुक रखते थे।1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिमाचल के 344 जवान देश की रक्षा के लिए सरहदों पर बलिदान हुए थे, जबकि वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में 259 हिमाचली जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस युद्ध में हिमाचल निवासी 72 जवानों और सैन्य अधिकारियों को वीरता पुरस्कारों से नवाजा गया। हिमाचल के कांगड़ा जिले से सबसे अधिक 734 जवान बलिदान हुए हैं।हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर में कांगड़ा जिले के सूबेदार मेजर पवन कुमार ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है।

 बलिदानियों की सूची में वीरभूमि हमीरपुर 345 के आंकड़े के साथ दूसरे नंबर पर है, जबकि 165 के साथ मंडी तीसरे नंबर पर है।वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में हिमाचल के 184 जवान और सैन्य अधिकारी बलिदान हुए थे। शिमला निवासी मेजर धन सिंह थापा ने गोरखा राइफल्स में सेवाएं देते हुए भारत-चीन युद्ध में अदम्य साहस दिखाया था। इसके लिए उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया था। इसके अलावा कांगड़ा निवासी कैप्टन विक्रम बत्रा 13 जैक राइफल्स में थे। वह करगिल हीरो कहलाते हैं। उन्हें परमवीर चक्र (बलिदान उपरांत) दिया गया। बिलासपुर निवासी परमवीर राइफलमैन संजय कुमार ने करगिल युद्ध में जबरदस्त शौर्य दिखाया था। वह वर्तमान में बतौर सूबेदार सेवाएं दे रहे हैं। 




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