त्सराप चू अब तक का भारत का सबसे बड़ा संरक्षण रिजर्व बन गया
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल के लाहौल-स्पीति का त्सराप चू भारत का सबसे बड़ा वन्यजीव रिजर्व घोषित किया गया है। 1,700 वर्ग किलोमीटर के इस विशाल क्षेत्र में हिम तेंदुए, साइबेरियन आइबैक्स और तिब्बती अर्गाली भी विचरण करते हैं।
ट्रांस-हिमालयी को संरक्षित करने, कई खतरों में पड़ी प्रजातियों के आवास की सुरक्षा करने में यह क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। किब्बर, चंद्रताल अभयारण्य और लद्दाख में चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के बीच यह रिजर्व गलियारे का काम करेगा।वन्यजीव संरक्षण और पारिस्थितिकी सुरक्षा के लिए हिमाचल सरकार ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 36ए (1) के तहत आधिकारिक तौर पर त्सराप चू क्षेत्र को संरक्षण रिजर्व घोषित किया है। इस घोषणापत्र के साथ त्सराप चू अब तक का भारत का सबसे बड़ा संरक्षण रिजर्व बन गया है। स्थानीय हितधारकों दारचा और लोसर की पंचायतों के साथ हुए परामर्श के बाद वन विभाग ने इस निर्णय को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया है।
यह रिजर्व प्रतिष्ठित और लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे हिम तेंदुआ, भरल (नीली भेड़), साइबेरियन आइबैक्स, हिमालयी भेड़िया और तिब्बती अर्गाली आदि का घर है। त्सराप चू घाटी भारत के उत्तरी उच्च ऊंचाई वाले संरक्षित क्षेत्रों में वन्यजीवों की आवाजाही के लिए एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक संपर्क बनाती है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वन्यजीव सप्ताह 2024 के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा को पूरा करते हुए अधिसूचना जारी की गई है।यह रिजर्व 4,173 मीटर की ऊंचाई पर युनम नदी और छरप नाला के संगम से लेकर लद्दाख के साथ राज्य की सीमाओं के बाद 5,900 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित ऊबड़-खाबड़ इलाकों से होकर फैला हुआ है। अद्वितीय जैव विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि के साथ यह क्षेत्र भविष्य के इको टूरिज्म हॉटस्पॉट के रूप में अपार संभावनाएं रखता है।
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