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छह साल की अनुबंध सेवा पूरी होने पर नियमितीकरण के आदेश

                       अप्रैल 2013 से याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को नियमित करने के निर्देश दिए 

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को साडा (स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथाॅरिटी) में नियुक्ति किए गए कर्मचारियों को छह साल की अनुबंध सेवा पूरी होने पर नियमितीकरण के आदेश दिए हैं। 

हालांकि, इन्हें वरिष्ठता के लिए काल्पनिक लाभ (नोशनल बेनिफिट) मिलेंगे, कोई मौद्रिक लाभ नहीं मिलेगा। न्यायाधीश सत्यैन वैद्य की अदालत ने यह फैसला कर्मचारियों को नियमित करने में देरी पर दिया है और एक अप्रैल 2013 से याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को नियमित करने के निर्देश दिए हैं।न्यायालय ने कहा कि पदों के सृजन में प्रतिवादियों की ओर से अनुचित देरी हुई थी, जिसने याचिकाकर्ताओं को समय पर नियमितीकरण से वंचित कर दिया। न्यायालय ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं की सेवाओं को एक अप्रैल, 2013 से नियमित किया जाए। मामला हिमाचल प्रदेश के उन संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण से संबंधित है, जिन्हें शुरू में साडा में काम पर रखा गया। 


इन कर्मचारियों की सेवाओं को 25 अगस्त 2015 से नियमित किया गया था, लेकिन याचिकाकर्ता एक अप्रैल 2013 से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। इस तारीख तक उन्होंने छह साल की संविदा सेवा पूरी कर ली थी।याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि राज्य सरकार की नीतियों के अनुसार उन्हें छह साल की संविदा सेवा पूरी होने पर नियमित किया जाना चाहिए था। उन्होंने 4 अप्रैल 2013 और 28 जून 2014 के सरकारी पत्रों का हवाला दिया। इनमें 31 मार्च 2013 और 31 मार्च 2014 तक छह साल पूरे करने वाले संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का प्रावधान था।वहीं, सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने 25 अगस्त 2015 से नियमितीकरण को बिना किसी आपत्ति के स्वीकार कर लिया था और इसलिए वे अब शर्तों को चुनौती नहीं दे सकते। नियमितीकरण रिक्तियों की उपलब्धता के अधीन था और साडा में 19 मई 2015 तक कोई मौजूदा पद नहीं थे। बताया कि साडा ने 2013 में पदों के सृजन के लिए अनुरोध भेजे थे, लेकिन हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से 26 पदों के सृजन को 19 मई 2015 को ही मंजूरी दी गई थी।




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