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आखिर क्यों लगाया इंश्योरेंस कंपनी को 13.36 लाख जुर्माना

                                                                   9 फीसदी ब्याज भी देना होगा

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक फैसले की सुनवाई में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी (एनआईसी) पर 13.96 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष एवं न्यायमूर्ति इंदर सिंह मेहता ने एनआईसी की अपील को खारिज करते हुए एक अगस्त 2019 को जिला उपभोक्ता आयोग शिमला के पारित आदेश के फैसले को बरकरार रखा है।

 शिमला उपभोक्ता आयोग ने हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड को शिकायत की तिथि से वसूली तक 9 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित 13,96,000 की राशि का भुगतान करने के आदेश दिए थे।साथ ही मुकदमे के खर्च के रूप में 10 हजार देने के निर्देश दिए हैं। यह मामला साल 2010-11 में शिमला जिला उपभोक्ता आयोग का है। शिकायतकर्ता बैंक ने एनआईसी (बीमा कंपनी) से बैंकर्स क्षतिपूर्ति पॉलिसी खरीदी थी। बैंक ने 1 अप्रैल 2010 से 31 मार्च 2011 तक 2 करोड़ रुपये की राशि के लिए 2,32,515 रुपये का प्रीमियम अदा था। शिकायतकर्ता बैंक का आरोप था है कि वर्ष 2010-11 में बैंक के कर्मचारी संचित आचार्य और विजय कुमार नेगी ने शाखा कार्यालय शिमला के ड्राफ्ट देय खाते को डेबिट करके तथा वरिष्ठ शाखा प्रबंधक रेणु कुमारी और सुमित्रा कुमारी के यूजर आईडी और  पासवर्ड का उपयोग करके उप खाता संख्या 20104 में क्रेडिट करके 13,96,000 रुपये का गबन किया।

दोनों कर्मचारी ने धोखाधड़ी से उप खाता के लिए एटीएम कार्ड जारी करने में कामयाबी हासिल की तथा न्यू शिमला में एटीएम के माध्यम से 19 जुलाई 2010 को 11,73,185 तथा 9 दिसंबर 2010 को 2,16,289 रुपये निकाले। बाद में बैंक की ओर से दोनों कर्मचारियों के खिलाफ सदर थाना में एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद बैंक ने बीमा कंपनी के समक्ष 13,96,000 रुपये के नुकसान का दावा प्रस्तुत किया। पॉलिसी के नियमों व शर्तों के अनुसार बैंक के किसी कर्मचारी या बाहरी लोगों की ओर से धोखाधड़ी, गबन, परिवर्तन व बेईमानी का कोई कार्य करने की स्थिति में नुकसान पॉलिसी में कवर करने का प्रावधान था।लेकिन बीमा कंपनी ने इस आधार पर बैंक के दावे को अस्वीकार कर दिया कि बैंक का दावा पॉलिसी के प्रावधानों में जोखिम की कवरेज नहीं करता है। इससे परेशान होकर बैंक ने शिमला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दायर की थी। राज्य उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी की अपील को खारिज करते हुए हुए स्पष्ट किया है कि जिला आयोग शिमला के दिए गए निष्कर्षों में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।



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