20 फीट बर्फ के बीच में रास्ता बनाते हुए गए
चम्बा,ब्यूरो रिपोर्ट
इस्राइल के ट्रैकर शैरिन ने चंबा के ट्रैकरों के साथ वाया कुगति धामघोड़ी होते हुए कैलाश परिक्रमा कर संभव को असंभव कर दिखाया है। 20 फीट बर्फ के बीच में रास्ता बनाते हुए 13 सदस्यीय दल कैलाश पर्वत के आखिरी पड़ाव धामघोड़ी पहुंचा, जहां से होते हुए यह दल मणिमहेश पहुंचा।
जून माह में धामघोड़ी से कैलाश परिक्रमा करना लगभग असंभव माना जाता है। क्योंकि, जोत (दर्रे) में पहले से 20 से 25 फीट बर्फ रहती है और कभी भी बर्फबारी होने की संभावना बनी रहती है।अमूमन ट्रैकर अगस्त या उसके बाद वाया कुगति होकर कैलाश परिक्रमा करते हैं। मणिमहेश यात्री भी इसी अवधि में यह परिक्रमा करते हैं। लेकिन, इस्राइल, उत्तराखंड, हरियाणा और चंबा के ट्रैकरों ने जून माह में इस परिक्रमा को पूरा करने का निर्णय लिया। सात जून को यह दल चंबा से कुगति के लिए रवाना हुआ। इस दल में इस्राइल के शैरिन के अलावा उत्तराखंड के राहुल, चंबा के आकिब मिर्जा, बलजीत, बिशु, एडी गौतम और गुरप्रीत सहित हरियाणा के रेवाड़ी क्षेत्र के छह ट्रैकर शामिल रहे।
केलांग एडवेंचर ट्रैकिंग ग्रूप के संचालक आकिब मिर्जा की अगुवाई यह दल कैलाश परिक्रमा करने के लिए रवाना हुआ। सात जून को यह दल कुगति में रुका। जहां से अगले पड़ाव की रवानगी की गई। दस जून को धामघोड़ी में बर्फ के पहाडों से गुजरते हुए दल कैलाश पर्वत पहुंचा। पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन के उपरांत दल ने वापसी वाया धन्छौ की। 12 जून को यह दल चंबा पहुंचा। यहां से सभी ट्रैकर अपने-अपने घरों को रवाना हुए।धामघोड़ी से गुजरते समय हिमालयन आईबैक्स के झुंड इन ट्रैकरों के साथ चलने लगे। आमतौर पर ये वन्य जीव इंसानों को देखकर भाग जाते हैं, लेकिन जैसे ट्रैकर जोत पर पहुंचे तो झुंड उनके पास आ गए। ट्रैकर उन्हें खिलाने के लिए अपने साथ नमक ले गए थे। आईबैक्स एक जंगली पहाड़ी बकरी है, जो अपने घुमावदार सींगों के लिए जानी जाती है।
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