अदालत ने कहा कि एक समान वर्ग के कैडर के लिए दो तरह के मापदंड नहीं हो सकते
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
एक दिसंबर 2012 से पहले पदोन्नत हुए सीएचटी को हेड टीचर पद के प्रमोशनल इंक्रीमेंट का लाभ मिलेगा। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने ये आदेश पारित किए। अदालत ने कहा कि एक समान वर्ग के कैडर के लिए दो तरह के मापदंड नहीं हो सकते।
अदालत ने हेड टीचर्स की पदोन्नति इंक्रीमेंट को बरकरार रखा है। अदालत ने सरकार को छह सप्ताह के भीतर सभी वित्तीय लाभ देने के आदेश दिए हैं, जो इस तारीख के बाद पदोन्नत हुए कर्मचारियों को मिले हैं। भले ही उनकी बाद में कोई और पदोन्नति हुई हो या उन्होंने वेतन निर्धारण का कोई विकल्प चुना हो।कोर्ट ने सरकार के इस तर्क का खंडन करते हुए कहा कि राज्य केवल इस आधार पर पदोन्नति इंक्रीमेंट देने से इन्कार नहीं कर सकता कि याचिकाकर्ताओं को एक अक्तूबर 2012 से पहले सेंटर हेड टीचर्स के रूप में भी पदोन्नत किया गया था। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार एक ऐसे मुद्दे पर पुनर्विचार करने की कोशिश कर रही है, जिसे पहले ही रणजीत सिंह मामले में सुलझा लिया गया था। राज्य ने इसे स्वीकार और लागू भी किया था। बता दें कि कि याचिकाकर्ता जूनियर बेसिक टीचर्स (जेबीटी) के रूप में नियुक्त हुए थे।
बाद में हेड टीचर्स फिर सेंटर हेड टीचर्स के रूप में पदोन्नत हुए।उन्होंने हेड टीचर के पद पर पदोन्नति की तारीख से 3 फीसदी पदोन्नति इंक्रीमेंट की मांग की थी। याचिका में मांग की गई थी कि एफआर 22(I)(ए)(1) के तहत हेड टीचर्स को इस इंक्रीमेंट के लिए पात्र ठहराया गया था। वहीं राज्य की ओर से पदोन्नति इंक्रीमेंट से इन्कार करने के लिए कई तर्क प्रस्तुत किए, जिन्हें अदालत ने खारिज कर दिया। राज्य ने 20 अप्रैल 2022 के कार्यालय पत्र का हवाला देते हुए कहा था कि एफआर 22(I)(ए)(1) उन हेड टीचर्स पर लागू नहीं था, जिन्हें संशोधित वेतन नियम, 2022 के तहत 1 जनवरी 2016 को या उसके बाद पदोन्नत किया गया था।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह पत्र 1 जनवरी, 2016 के बाद (7वें वेतन संशोधन के बाद) की पदोन्नतियों से संबंधित था और इस प्रकार याचिकाकर्ताओं के मामले पर कोई प्रभाव नहीं डालता था, क्योंकि उन्हें 1 अक्तूबर 2012 से पहले हेड टीचर्स के रूप में पदोन्नत किया गया था।यह पूरा विवाद जेबीटी से हेड टीचर्स के रूप में पदोन्नत हुए कर्मचारियों को पदोन्नति इंक्रीमेंट दिए जाने से संबंधित है। याचिकाकर्ताओं ने हेड टीचर के रूप में अपनी पदोन्नति की तारीख से 3 फीसदी पदोन्नति इंक्रीमेंट की मांग की थी। सरकार ने याचिकाकर्ताओं को वर्ष 2012 से पहले हेड टीचर से सीएचटी पद पर पदोन्नति किया था। लेकिन हेड टीचर की प्रमोशनल इंक्रीमेंट नहीं दी जा रही थी। इसकी वजह से याचिकाकर्ताओं ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इसी में कोर्ट ने ये आदेश पारित किए हैं।
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