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नकली और नशीली दवाएं बनाने का अवैध कारोबार

                                               हिमाचल के नाम पर बन रहीं नकली और नशीली दवाएं

सोलन,ब्यूरो रिपोर्ट 

बाहरी राज्यों में नकली और नशीली दवाएं बनाने का अवैध कारोबार चल रहा है और इसमें बदनाम हिमाचल प्रदेश हो रहा है। पिछले साल ऐसे 20 मामले सामने आ चुके हैं। इस साल अब तक ऐसे दो मामलों का पर्दाफाश हो चुका है।

दरअसल, कई ऐसी कंपनियों की दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, जिन पर हिमाचल का पता लिखा है लेकिन जांच में सामने आया है कि यह पता हिमाचल में है ही नहीं। देश में तैयार होने वाली 30 फीसदी दवाइयों का उत्पादन हिमाचल में हो रहा है। एशिया के सबसे बड़े फार्मा हब बद्दी में बनीं दवाइयां कई देशों में निर्यात की जा रही हैं।प्रदेश की छवि को खराब करने के लिए यहां की नामी दवा कंपनियों के नाम पर नकली और नशीली दवाइयां बाहरी राज्यों में बन रही हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान ऐसे 20 मामले सामने आए। इसमें 19 नकली और एक नशीली दवा का मामला था। उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और पंजाब में पकड़ी गईं नकली दवाओं पर हिमाचल की कंपनियों के नाम और लेबल लगे पाए गए। जांच में ऐसी कोई कंपनी हिमाचल में नहीं मिली। इस साल अभी तक ऐसे दो मामले सामने आ चुके हैं।

 इनका प्रदेश के दवा उत्पादकों को कोई लेना-देना नहीं है। हिमाचल में दवा के नमूनों की जांच को और प्रभावी बनाने के लिए सोलन जिले के कंडाघाट में पहले से कार्यरत मिश्रित परीक्षण प्रयोगशाला के अलावा अब सरकार ने एक और अत्याधुनिक दवा परीक्षण प्रयोगशाला भी शुरू कर दी है।जून में पैराडॉक्स फार्मा नाम की कंपनी के सैंपल फेल हुए। इनमें एजिथ्रो, एंटीबायोटिक, पेंटाप्रोजोल और ओमेक्सीक्लीन दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं लोगों के स्वास्थ्य से सीधा संबंध है लेकिन जांच में दवाएं हिमाचल की नहीं पाई गईं। सोनीपत ड्रग विभाग ने यह मामला केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीएसडीओ) को भेजा था। उन्होंने बताया कि उनके यहां यह कंपनी ही नहीं है।जून में इंडस फार्मा के नाम से एक सैंपल फेल हुआ। आगरा से यह शिकायत दर्ज हुई। इसमें इंडस फार्मा को बद्दी की कंपनी दर्शाया गया। जांच में पता चला कि बद्दी में इस नाम की कोई कंपनी नहीं है। यहां पर डेक्लोफिनेक इंजेकशन पर बद्दी का लेबल लगा था।




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