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लोगों को घुटनों के बल ऊंचे पैरापिट लांघकर करना पड़ रहा है सड़क आर-पार

                                               फोरलेन पर वाहन सरपट... पैदल चलने वाले घुटनों के बल

काँगड़ा,रिपोर्ट नेहा धीमान 

रानीताल के पास रसूह चौक पर मटौर-शिमला फोरलेन के निर्माण से वाहनों के सरपट चलने के साथ परेशानी भी दौड़ पड़ी है। यहां पर लोगों को घुटनों के बल ऊंचे पैरापिट लांघकर जान हथेली पर रखकर सड़क आर-पार करनी पड़ रही है। 

पिछले पांच माह से लोग यहां भंगवार में बनाए ओवरब्रिज की तर्ज पर सुविधा देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक न प्रशासन और न ही फाेरलेन निर्माण में लगी कंपनी और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने उनकी सुनी हैं। लाेगाें का कहना है कि रसूह चाैक बहुत ही व्यस्त चाैक है और यहां से प्रतिदिन 500 से 600 लाेग सड़क के आर-पार होते हैं। उन्होंने गुहार लगाई है कि यहां पर ओवरब्रिज का निर्माण किया जाए, ताकि लाेगाें काे जान जाेखिम में डाल कर चाैक पार न करना पड़े।ओवरब्रिज बनाने काे लेकर एसडीएम कांगड़ा और एनएचएआई के अधिकारियाें से वह पांच माह मिले थे। 

उसके बाद माैके एसडीएम और एनएचएआई के अधिकारी रसूह चाैक पर पहुंचे थे और ओवरब्रिज बनाने का आश्वासन दिया। आज दिन तक कार्य शुरू नहीं हाे पाया है।फाेरलेन के निर्माण के बाद रसूह चाैक काफी बदल गया है और इसकी चाैड़ाई भी बहुत अधिक और लाेगाें काे आर-पार जाने के लिए लाेहे के पैरापिट काे पार करके जाना पड़ता है, जिससे लाेगाें काे परेशानी हाेती है।रसूह चाैक काे पार करने में सबसे अधिक परेशानी बुजुर्ग लाेगाें काे हाेती है। बुजुर्ग लाेगाें काे लाेहे के पैरापिट पार करने में मुश्किल पेश आती है। रोजाना यहां बुुजुर्ग घुटनों के बल पैरापिट लांघने के लिए मजूबर हैं। अगर यहां पर ओवरब्रिज नहीं बन सकता, ताे यहां बनाए स्टॉपेज को भी हटा देना चाहिए, ताकि लाेग इस जाेखिमपूर्ण चाैक काे पार न करना पड़े।


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