दस्तावेजों के उपयोग पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से यह फैसला लिया गया
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल सरकार में पिछले तीन वर्षों के दौरान बिना लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के नियुक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों की जांच की जाएगी।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस संबंध में सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, उपायुक्तों, मंडलायुक्तों, प्रबंध निदेशकों और भर्ती आयोग के सचिवों को निर्देश जारी कर दिए हैं।बीते तीन साल में साक्षात्कार के बिना प्रमाणपत्रों के आधार पर की गईं नियुक्तियों की जांच चार महीने में करने के लिए कहा गया है। शैक्षणिक योग्यता प्रमाणपत्रों का सावधानी से सत्यापन न करने पर संबंधित अधिकारियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भी चेताया है। सरकारी नियुक्तियों में जाली शैक्षणिक दस्तावेजों के उपयोग पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से यह फैसला लिया गया है।उच्च न्यायालय ने सीडब्ल्यूपी संख्या 7320/2025, ग्रामीण मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान बनाम हिमाचल प्रदेश और अन्य के मामले में सरकार को यह कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
राज्य में फर्जी प्रमाणपत्रों की बढ़ती संख्या का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को शैक्षणिक योग्यताओं का सत्यापन सुनिश्चित करने को कहा है। न्यायालय ने मई 2022 से क्लास फोर के पदों के लिए बंद किए गए साक्षात्कार और मूल्यांकन प्रक्रियाओं के संदर्भ में इस प्रक्रिया के महत्व पर जोर दिया।न्यायालय ने कहा था कि पूरे राज्य में अनेक फर्जी डिग्रियों/ प्रमाणपत्रों के सामने आने के बाद प्रमाणपत्रों का सत्यापन आवश्यक हो गया है। इसी कड़ी में राज्य सरकार ने प्रमाणपत्रों और डिग्रियों के सत्यापन के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। कार्मिक विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा है कि भर्ती की सत्यनिष्ठा को बनाए रखने और सुनिश्चित करने के लिए वास्तविक और योग्य उम्मीदवारों की ही नियुक्ति की जाए। दस्तावेज प्रमाणीकरण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसमें प्रस्तुत शैक्षणिक दस्तावेजों की वैधता, उत्पत्ति और सटीकता की जांच अनिवार्य तौर पर की जाए।
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