गांव की जमीन, खेत-खलिहान धंस रहे हैं
लाहौल-स्पीति,ब्यूरो रिपोर्ट
लगातार होते भूस्खलन के कारण धंसते लिंडूर गांव में लोगों की रातें दहशत में कट रही हैं। पिछले तीन साल से 19 परिवारों वाला लाहौल घाटी का लिंडूर गांव प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ रहा है।
गांव की जमीन, खेत-खलिहान धंस रहे हैं। घरों में गहरी दरारें आ चुकी हैं। धीरे-धीरे पूरा का पूरा गांव धंसता जा रहा है। ग्रामीण दिन तो किसी तरह काट रहे हैं, लेकिन रातें दहशत में बीत रही हैं।एनडीआरएफ की टीम पिछले दिन गांव का निरीक्षण कर चुकी है और एक फिर एनडीआरएफ के विशेषज्ञों की टीम गांव का दौरा करने वाली है। इसे पहले आईआईटी मंडी और भूगर्भीय अध्ययन की रिपोर्टों के आधार पर ग्रामीणों को जल्द ही विस्थापित करना अनिवार्य होगा। इसके बाद जिला प्रशासन भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है, मगर राहत और पुनर्वास को लेकर जमीनी काम अब तक अधूरा है।
गांव के निवासी जगदीश ने कहा हमारी मांग यही है कि नाले में बाढ़ की रोकथाम के लिए काम किया जाए। भू-स्खलन के बाद जो मलबा जमा हो रहा है, वह हर बार बाढ़ में बह जाता है। नाला और गहरा होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि यह रोकथाम संभव नहीं है तो कम से कम विस्थापन प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। प्रभावित ग्रामीण राहुल, हीरा लाल और छेरिंग दोरजे कहते हैं कि प्रशासन की ओर से अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं, न तो बाढ़ रोकथाम के कार्य शुरू हुआ हैं और न ही विस्थापन को लेकर कोई ठोस कदम उठाया गया है।उपायुक्त लाहौल-स्पीति किरण भड़ाना ने कहा कि जिला प्रशासन स्थिति पर निगरानी बनाए हुए है। उन्होंने गांव को विस्थापन व पुनर्वास को लेकर रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। सरकार के आदेश के बाद अगली प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।
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