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मंडी क्षेत्र में की गई इंट्रा सर्किल रोमिंग सक्रिय

                                             आपातकालीन संचार के लिए आईसेट भी क्षेत्र में तैनात 

मंडी,ब्यूरो रिपोर्ट 

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के थुनाग क्षेत्र में संपर्क बनाए रखने के लिए दूरसंचार विभाग की ओर से इंट्रा सर्किल रोमिंग (आईसीआर) सक्रिय कर दी है। उन्होंने कहा कि आपातकालीन संचार के लिए आईसेट भी क्षेत्र में तैनात हैं। 

सीएम सुक्खू ने  कहा कि भूस्खलन और बाढ़ के कारण राज्य भर में लगभग 392 सड़कों पर यातायात बाधित हुआ है। राज्य की मशीनरी को सक्रिय कर दिया है। पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता स्वयं मौके पर जा रहे हैं। 289 जेसीबी, 15 रोबोट, 16 डोजर्स और 111 टिपर लगाए गए हैं, ताकि सड़कें बहाल हो सकें। सीएम ने बताया कि 20 जून से 3 जुलाई के बीच सड़क अधोसंरचना को लगभग 182 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।सीएम सुक्खू ने कहा कि बिजली बोर्ड के निदेशक ऑपरेशन मंडी जोन के मुख्य अभियंता और सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मंडी के प्रभावित क्षेत्रों में कैंप कर रहे हैं। जिले में आपदा के कारण चार सब स्टेशन और 1708 वितरण ट्रांसफार्मर बंद हो गए थे और कई किलोमीटर लंबी विद्युत लाइनें बह गई थीं। केवल दो दिनों में तीन सब स्टेशन और 1294 ट्रांसफार्मर बहाल कर दिए हैं। सुक्खू ने कहा कि 33 केवी गोहर-थुनाग लाइन को बहाल किया है।  

इधर, हिमाचल में मूसलाधार बारिश और बादल फटने से भारी तबाही के बीच मंडी के करसोग, गोहर, थुनाग में एनडीआरएफ ने मोर्चा संभाल लिया है। आपदा से प्रभावित 357 लोगों की मदद के लिए धर्मपुर, पधर, गोहर और मंडी शहर में पांच जगह राहत शिविर बनाए गए हैं। प्रदेश सरकार ने केंद्र को मानसून के दौरान हुए नुकसान से अवगत कराते हुए वित्तीय सहायता देने के लिए पत्र भी लिखा है। मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां 189 सड़कों पर यातायात बाधित है और लगभग 47 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। जिला में 84 जेसीबी, एक रोबोट, तीन डोजर और 36 टिप्पर लगाए गए हैं। कुछ प्रमुख सड़कें जैसे एमडीआर-24 मंडी-गग्गल चैलचौक जंजैहली, सनारली-शंकर देहरा, एमडीआर-119 छतरी मगरूगल्ला से जंजैहली और एमडीआर-96 थलौट-पंजैण थाची-शेटाधार-चियुनी-लंबाथाच सड़क पर बहाली का कार्य किया जा रहा है। सीएम ने कहा कि जल शक्ति विभाग की ओर से पेयजल और सिंचाई परियोजनाएं बहाल करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। जल शक्ति विभाग की फील्ड टीमें और इंजीनियर कार्य में जुटे हैं। वरिष्ठ अधिकारी स्वयं मौके पर पहुंचकर निगरानी कर रहे हैं। हैंडपंपों और प्राकृतिक जल स्रोतों के माध्यम से भी पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है।




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