फसल में पत्ता लपेट रोग के साथ विषाणु रोग का हमला
सिरमौर,ब्यूरो रिपोर्ट
सूबे में इस बार समय से पहले व अच्छी बारिश होने के चलते किसानों को बेहतर धान की फसल की उम्मीद थी। लेकिन एक महीने में ही धान की फसल रोग की चपेट में आने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। इस बार हजारों बीघा धान की फसल में पत्ता लपेट रोग के साथ विषाणु रोग का हमला हुआ है। सफेद फुदका नाम के कीड़े (विषाणु) का पहली बार धान की फसल पर प्रकोप देखने को मिल रहा है।किसानों रिजवान, किशोरी लाल, रामकिशन, धर्म पाल, काला आदि ने बताया कि धान रोपाई शुरू किए हुए एक महीना हुआ है जो फसल खेतों में खड़ी लहरा रही थी वह अब एकाएक मुरझाने लगी है। धान की जड़ें लाल और पते पीले पड़ने लगे हैं।
एक सप्ताह पहले शुरू हुए रोग लगने से किसानों ने खास ध्यान नहीं दिया। जब यह रोग बड़ी तेजी से फैलता दिखाई दिया किसानों के होश उड़ गए हैं। किसानों की मानें तो हजारों बीघा भूमि इस रोग की चपेट में है।किसानों ने बताया कि धान की फसल में इस तरह की बीमारी पहली बार देखने में आई है। ऐसे में अधिकतर किसान किसी विशेषज्ञों की जानकारी के दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं, जिससे बीमारी पर कोई प्रभाव नहीं दिख रहा है। उधर, मामला संज्ञान में आने के बाद कृषि विशेषज्ञों की टीम ने सोमवार को पांवटा साहिब के करीब आधा दर्जन प्रभावित गांवों का दौरा किया है। इस दौरान टीम ने रोग की न केवल पहचान की बल्कि किसानों को फसल को रोग से बचाने को लेकर तत्काल दवाओं के छिड़काव की सलाह दी है।विभाग की विषयवाद विशेषज्ञ पादक रोग शिवाली धीमान ने बताया कि धान में रोग लगने की सूचना मिली है।
वह खुद कृषि विकास अधिकारी मनजीत सिंह व टीम टीम के साथ क्षेत्र का निरीक्षण कर रही हैं। उन्होंने बताया कि किसान अपनी मर्जी से कोई गलत दवाई मत डालें, इससे और नुकसान हो सकता है।उन्होंने बताया कि कुड़िया, टोका नगला, भूपपुर, भाटां वाली सहित आधा दर्जन क्षेत्रों का दौरा किया है। शिवाली धीमान ने बताया कि धान में दो तरह के रोग पाए गए हैं। ज्यादातर फसल में विषाणु रोग देखा गया है। सफेद फुदका नाम का कीड़ा धान को ज्यादा नुक्सान पहुंचा रहा है। इसके अलावा पता लपेट रोग भी देखा गया है। यह दोनों रोग मिलते-जुलते हैं। उन्होंने बताया कि यह रोग अगेती फसल रोपाई में और 6444 किस्मों के साथ बासमती में भी देखा गया है। उन्होंने कहा 25 जून से पहले जो धान रोपाई की है, वहीं पर ज्यादा रोग देखा गया है।उन्होंने किसानों से अपील की कि डाईनोटेफूरान 20 एमजी, 80 ग्राम 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें या बुप्रोफेजिन 25 एससी 335 मिलीलीटर 100 लीटर पानी में एक एकड़ जमीन पर छिड़काव करें। उन्होंने चेताया कि नकली दवाओं से सावधान रहें। इसके अलावा ट्राई फलूमेजोपायरिन 10 एससी 94 मिलीलीटर 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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