राज्यपाल या राष्ट्रपति के पास लंबित हैं बिल
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल सरकार द्वारा विधानसभा से पारित करवाए गए 15 बिल अभी तक फंसे हुए हैं। ये वर्ष 2023 से 2025 के बीच के हैं। वर्तमान सरकार ने 14वीं विधानसभा में कुल 73 बिल पारित किए हैं, जिनमें से 58 मंजूरी के बाद कानून बन गए हैं।
शेष 15 विधेयकों को अभी भी मंजूरी का इंतजार है। ये या तो राजभवन में अटके पड़े हैं या फिर राष्ट्रपति से मंजूरी अभी लंबित है। वर्तमान सरकार ने पूर्व भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान कानून को रिपील कर दिया था, लेकिन राज्यपाल से मंजूरी मिलने से पहले यह मामला कोर्ट चला गया। अभी तक यह बिल इसी झगड़े में उलझा है। राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजना सुखाश्रय का बिल भी प्रेसिडेंट की मंजूरी के लिए गया है।
बाल विवाह रोकने और इंडियन स्टांप एक्ट में बदलाव करने के मामले भी भारत सरकार को गए हैं, क्योंकि ये यूनियन के सब्जेक्ट हैं। बागबानी और कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति मामले में राज्यपाल के रोल को सरकार बदलना चाहती है। एक तरफ बिल पेंडिंग है, वहीं दूसरी तरफ इन पदों को भरने के विज्ञापन को भी राज्य सरकार ने रद्द कर दिया है। राधास्वामी डेरे के भोटा अस्पताल की जमीन के मामले में लैंड सीलिंग एक्ट को बदला गया था और यह अनुमति भी केंद्र से आनी है। एनडीपीएस एक्ट पर भी अनुमति का इंतजार है। विधायकों और मंत्रियों के वेतन, भत्ते बढ़ाने को लेकर लंबी बहस हो चुकी है, लेकिन ये तीनों ही बिल अभी तक लंबित चल रहे हैं। दल बदल के दायरे में आने वाले विधायकों की पेंशन रोकने का बिल भी परित है, जिस पर गवर्नर की मंजूरी चाहिए।
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