स्तन कैंसर की पहली इंटरस्टिशियल ब्रेकीथेरेपी
बिलासपुर,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल में कैंसर उपचार के क्षेत्र में एम्स बिलासपुर ने इतिहास रच दिया है। संस्थान में पहली बार जीभ और स्तन कैंसर के मरीजों पर इंटरस्टिशियल ब्रेकीथेरेपी की सफल प्रक्रियाएं की गईं।
यह अत्याधुनिक तकनीक ट्यूमर को सीधे और सटीक विकिरण देकर नष्ट करती है, जबकि आसपास के स्वस्थ अंगों को नुकसान नहीं पहुंचता।पहला मामला मंडी के 47 वर्षीय मरीज का है, जिन्हें जीभ के स्टेज-2 कैंसर का पता चला था। पारंपरिक सर्जरी में जीभ का हिस्सा हटाने की आशंका थी, लेकिन अंग संरक्षण के लिए मरीज ने ब्रेकीथेरेपी का विकल्प चुना। पतले कैथेटर से कैंसर ग्रस्त हिस्से में उच्च खुराक वाला विकिरण देकर ट्यूमर को नष्ट किया गया और बोलने-निगलने की क्षमता सुरक्षित रखी गई।दूसरा मामला बिलासपुर की 37 वर्षीय महिला का है, जिन्हें आठ माह पहले स्तन में गांठ की शिकायत हुई थी।
जांच में स्टेज-2 कैंसर का पता चला। ब्रेस्ट-कंजर्विंग सर्जरी के साथ ही इंटरस्टिशियल ब्रेकीथेरेपी दी गई। इससे ट्यूमर स्थल पर सीधा विकिरण पहुंचा और सामान्य स्तन ऊतक, हृदय व फेफड़े सुरक्षित रहे। बताते चलें कि इंटरस्टिशियल ब्रेकीथेरेपी में रेडियोधर्मी स्रोत को पतले कैथेटर के जरिए सीधे ट्यूमर में डाला जाता है। इससे रेडिएशन केवल कैंसर कोशिकाओं पर असर करता है और इलाज का समय भी कम हो जाता है। परिणाम सौंदर्य और कार्यात्मक दोनों रूप से बेहतर मिलते हैं।एम्स के कुलसचिव डॉक्टर राकेश कुमार सिंह ने कहा कि एम्स बिलासपुर की यह उपलब्धि हिमाचल में शुरुआती चरण के सिर, गर्दन और स्तन कैंसर के मरीजों के लिए बड़ा सहारा बनेगी। अब मरीजों को इलाज के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा, जिससे समय और धन की बचत होगी।
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