बीएसएफ की सेवा को पेंशन के लिए योग्य नहीं माना गया
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 73 वर्षीय महिला निर्मला देवी को उनके पति की सेवा के आधार पर फैमिली पेंशन देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 के तहत पति की सेवा को पेंशन के लिए अयोग्य करार दिया है।
अदालत ने नियम 26 का हवाला दिया, जिसके अनुसार यदि कोई कर्मचारी उचित अनुमति के बिना इस्तीफा देता है तो उसकी पिछली सेवा जब्त कर ली जाती है। बिहारी लाल डोगरा ने बीएसएफ से इस्तीफा दिया था और उसके बाद डेढ़ साल के अंतराल के बाद सीआईएसएफ में सीधी भर्ती के जरिये ज्वाइन किया था। इसलिए उनकी बीएसएफ की सेवा को पेंशन के लिए योग्य नहीं माना गया।न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता निर्मला देवी का मामला पेंशन नियमों के मापदंडों को पूरा नहीं करता। याचिकाकर्ता के पति बिहारी लाल डोगरा ने 29 अक्तूबर 1965 से 22 मार्च 1970 तक सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में कांस्टेबल के रूप में सेवा दी, जो 4 साल 7 महीने और 24 दिन की अवधि थी।
उन्होंने 1970 में बीएसएफ से इस्तीफा दे दिया था। लगभग डेढ़ साल बाद 18 जनवरी 1972 को उन्होंने सीआईएसएफ में एक फ्रेश कैंडिडेट के रूप में सीधी भर्ती के जरिये ज्वाइन किया। उन्होंने सीआईएसएफ में 18 जनवरी 1972 से 8 अक्तूबर 1987 तक यानी 15 साल 8 महीने व 20 दिन तक सेवा दी, जिसके बाद उन्होंने वहां से इस्तीफा दे दिया।अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के पति के पास पेंशन के लिए आवश्यक 20 साल की सेवा नहीं थी, जैसे कि केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 के नियम 48 ए में अनिवार्य है। याचिकाकर्ता के पति की मृत्यु 7 अगस्त 2002 को हुई। याचिकाकर्ता ने पेंशन के लिए 16 साल बाद 2018 में कानूनी कार्रवाई शुरू की, जिसमें अत्यधिक विलंब को कोर्ट ने उचित नहीं माना।
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