हिमाचल में शहीद हुए थे लेफ्टिनेंट
चंडीगढ़,ब्यूरो रिपोर्ट
26 साल के लंबे इंतजार और संघर्ष के बाद भारतीय वायुसेना के दिवंगत फ्लाइट लेफ्टिनेंट एसके पांडे की पत्नी रेखी पांडे को आखिरकार न्याय मिला है। चंडीगढ़ आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल ने सरकार को आदेश दिया है कि उन्हें उदार फैमिली पेंशन जारी की जाए।
अगस्त 1999 में हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में बादल फटने के बाद वहां फंसे जर्मन पर्वातारोहियों को बचाने के लिए चलाए गए कठिन बचाव अभियान के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट पांडे का हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में उनके को-पायलट स्क्वाड्रन लीडर एफएस सिद्दीकी की भी मौत हो गई थी। सिद्दीकी की पत्नी को 2023 में एएफटी के आदेश पर उदार पेंशन का लाभ मिल गया था, लेकिन पांडे की पत्नी को यह लाभ नहीं दिया गया।साल 2001 में केंद्र सरकार ने 5वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करते हुए ऐसे मिशनों में शहीद हुए सैनिकों की विधवाओं को उदार पारिवारिक पेंशन का हकदार बनाया था और इसे 1 जनवरी 1996 से पिछली तारीख से लागू किया गया।
बावजूद इसके, रेखी पांडे को युद्ध हताहत प्रमाणपत्र न होने के कारण उदार पेंशन से वंचित रखा गया। लंबे संघर्ष के बाद वायुसेना ने 1999 से प्रभावी यह प्रमाणपत्र जारी किया, लेकिन ज्वाइंट कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स ने यह कहकर पेंशन रोक दी कि मामला नीति के दायरे में नहीं आता। एएफटी ने स्पष्ट किया कि 31 जनवरी 2001 का सरकारी परिपत्र इस मामले को पूरी तरह कवर करता है और वायुसेना की सकारात्मक घोषणा के बाद अकाउंट्स ब्रांच के पास उस पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। ट्रिब्यूनल ने यह भी उल्लेख किया कि इसी हादसे में मारे गए को-पायलट की पत्नी को पहले ही उदार पेंशन का लाभ मिल चुका है, इसलिए पांडे की पत्नी को पेंशन से वंचित रखना अन्याय है।
0 Comments