असुरक्षित भवन में पढ़ने को मजबूर दांथल स्कूल के 24 बच्चे
सिरमौर,ब्यूरो रिपोर्ट
राजस्थान में सरकारी स्कूल का भवन गिरने से बच्चों की मौत ने देश को झकझोर दिया है। कागजों पर स्कूलों में सुरक्षा के सरकारी दावे मजबूत हैं, लेकिन धरातल पर उनकी हवा निकल रही है। छत से टपकती बूंदें, दीवारों से गिरता प्लास्टर और डर के साये में बच्चे... यही है कई सरकारी स्कूलों की तस्वीर। आपदा से जूझ रहे हिमाचल में कई जगह बच्चे असुरक्षित भवनों में पढ़ने को मजबूर हैं।
इन्हीं चिंताओं के समाधान के लिए आज से शुरू हो रहा है हमारा विशेष अभियान 'कैसी है पाठशाला'।हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिक्षा खंड संगड़ाह के तहत राजकीय प्राथमिक पाठशाला दांथल करीब आठ साल से असुरक्षित और टूटे-फूटे भवन में चल रही है। यहां करीब 24 बच्चे डर के साये में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और भय मुक्त वातावरण के सरकारी दावों की यहां हवा निकल रही है। स्कूल का रसोईघर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। शौचालय भी जीर्णशीर्ण हालत में हैं। कमरों की छत का प्लास्टर गिरने लगा है। दीवारों पर दरारें हैं। बरसात में कभी भी यह स्कूल भवन गिर सकता है।सरकार ने बाल संकल्प योजना के तहत 2002 में इस पाठशाला का निर्माण किया था। उस समय यहां दो ही कमरे थे, इसके बाद एक कमरा और बनाया गया। स्कूल प्रबंधन समिति का कहना है कि साल 2018-19 में ग्राम पंचायत अंधेरी के गांव कांथल के इस प्राथमिक स्कूल के पास सड़क निर्माण के दौरान बड़े-बड़े पत्थर और मलबा ढांक में फेंका गया। इससे स्कूल के रसोईघर के साथ ही शौचालय क्षतिग्रस्त हो गए। यहीं नहीं स्कूल भवन के कमरों की दीवारों और छत को भी बहुत नुकसान पहुंचा। साल 2020-21 में समिति ने सगड़ाह के एसडीएम और पंचायत प्रधान अंधेरी विक्रम सिंह ने उपायुक्त को स्कूल की हालत से रूबरू करवाया था।
वर्ष 2023 में एसडीएम संगड़ाह ने स्कूल का दौरा किया और स्कूल भवन की जर्जर हालत को देखते हुए कक्षाएं सुरक्षित भवन (सरकारी/निजी) में चलाने के निर्देश दिए थे। कोई विकल्प न मिलने के कारण दो साल बाद भी यह स्कूल उसी असुरक्षित भवन में चल रहा है। सरकार ने बाल संकल्प योजना के तहत 2002 में इस पाठशाला का निर्माण किया था। उस समय यहां दो ही कमरे थे, इसके बाद एक कमरा और बनाया गया। स्कूल प्रबंधन समिति का कहना है कि साल 2018-19 में ग्राम पंचायत अंधेरी के गांव कांथल के इस प्राथमिक स्कूल के पास सड़क निर्माण के दौरान बड़े-बड़े पत्थर और मलबा ढांक में फेंका गया। इससे स्कूल के रसोईघर के साथ ही शौचालय क्षतिग्रस्त हो गए। यहीं नहीं स्कूल भवन के कमरों की दीवारों और छत को भी बहुत नुकसान पहुंचा। साल 2020-21 में समिति ने सगड़ाह के एसडीएम और पंचायत प्रधान अंधेरी विक्रम सिंह ने उपायुक्त को स्कूल की हालत से रूबरू करवाया था। वर्ष 2023 में एसडीएम संगड़ाह ने स्कूल का दौरा किया और स्कूल भवन की जर्जर हालत को देखते हुए कक्षाएं सुरक्षित भवन (सरकारी/निजी) में चलाने के निर्देश दिए थे। कोई विकल्प न मिलने के कारण दो साल बाद भी यह स्कूल उसी असुरक्षित भवन में चल रहा है।
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