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🚠 अब परवाणू से सीधे शिमला तक रोपवे सफर!

                                        🏞️ बिना जाम और तीखे मोड़ों के शिमला यात्रा होगी आसान

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

घुमावदार सड़कें और ट्रैफिक के झंझट से हजारों लोगों खासकर चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा से आने वाले पर्यटकों को छुटकारा मिलने जा रहा है। परवाणू से शिमला तक 38 किलोमीटर लंबे रोपवे का निर्माण होगा। यह रोपवे देश का पहला और दुनिया का दूसरा सबसे लंबा प्रोजेक्ट होगा।

आठ चरणों में इसका काम पूरा होगा। परवाणू पहुंचने से शिमला पहुंचने में लोगों को जहां साढ़े तीन घंटे का समय लग जाता है। वहीं, रोपवे से दो घंटे लगेंगे। परवाणू से शिमला तक का सफर अब हवा में होगा। इससे जहां ट्रैफिक का शोर कम होगा। वहीं गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण से भी लोगों को राहत मिलेगी। इसके लिए न तो पहाड़ कटेंगे और न ही जंगल उजड़ेंगे। रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर बनाया जा रहा है। इस परियोजना पर लगभग 6800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस सुविधा से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि हजारों लोगों का सड़क यातायात भी कम हो जाएगा।तारादेवी से शिमला तक बनने वाला अत्याधुनिक रोपवे (रज्जू मार्ग) 13.79 किलोमीटर लंबा होगा। 

इस रोपवे से शहरवासियों का सफर न केवल सुगम होगा। वहीं रोजाना हजारों लोग बसों व गाड़ियों के घंटों जाम में फंसने से भी निजात मिल जाएगी। परियोजना में करीब तीन साल की देरी और लागत में 562 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है। इस रोपवे में कुल 15 स्टेशन होंगे। वहीं एक दिशा में लगभग एक हजार यानी कि दोनों तरफ दो हजार यात्री सफर कर पाएंगे। वहीं इस रोपवे में यात्रा का समय 12 से 15 मिनट के बीच का होगा। स्टेशनों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे। रोपवे में प्रति घंटे लगभग 2,000 लोगों को ले जाया जा सकेगा। रोपवे में कुल 11 स्टेशन बनाए जाएंगे। जोकि परवाणू, जाबली, धर्मपुर, बड़ोग, सोलन, करोल टिब्बा, वाकनाघाट, कंडाघाट, शोधी, तारादेवी से होते हुए शिमला पहुंचेगा। इस रोपवे का मुख्य उद्देश्य यातायात को भीड़ को कम करना, सड़क प्रदूषण में कमी लाना और पर्यटन को बढ़ावा देना है। शिमला आने-जाने का यह एक सुगम विकल्प होगा। इस परियोजना को 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।


 

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